रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिस अस्पताल में बच्चियों का इलाज किया गया, वहां उन्हें चिकित्सा सुविधा मिलने में भी 12 घंटे की देरी की गई। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी अक्षय शिंदे की पहचान और पृष्ठभूमि की छानबीन किए बिना ही उसे स्कूल में काम पर रख लिया गया था।