1984 Anti-Sikh Riots: पुल बंगश सिख हत्या मामले में जगदीश टाइटलर का आरोपों से इनकार, अब चलेगा ट्रायल

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद साल 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों (Anti Sikh Riots) को लेकर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ( Congress Leader Jagdish Tytler) दोषी ठहरा दिया था लेकिन शुक्रवार (13 सितंबर) को कोर्ट में जगदीश टाइटलर ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले में ट्रायल का सामना करेंगे। इसके पहले 30 अगस्त को हुई सुनवाई में राउज एवेन्यू कोर्ट ने टाइटलर पर आरोप तय कर लिए थे। कोर्ट ने कहा था कि अब टाइटलर के खिलाफ अगली सुनवाई 13 सितंबर को की जाएगी।

एक नवंबर 1984 को दिल्ली के  पुल बंगश (Pul Bangash) इलाके में गुरुद्वारे के बाहर हुई हिंसा के दौरान 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी। सीबीआई (CBI) ने इस मामले चार्जशीट दाखिल कर तत्कालीन कांग्रेस सांसद जगदीश टाइटलर को आरोपी बनाया था। अब इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई और साक्ष्य दर्ज करने के लिए 3 अक्टूबर की तारीख तय की है।

जानिए क्या था मामला

साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिखों के खिलाफ अराजकता का माहौल फैल गया था। इसी दौरान दिल्ली के पुल बंगश इलाके में भी हिंसा फैली हुई थी जहां गुरुद्वारे में तीन सिखों की हत्या कर दी गई थी। एक नवंबर 1984 को आजाद मार्केट के पुल बंगश स्थित गुरुद्वारा को एक हिंसक भीड़ ने आग लगा दी थी। इस आग में सरदार ठाकुर सिंह, सरदार बादल सिंह और सरदार गुरचरण सिंह नाम के तीन सिखों की जलकर मौत हो गई थी। इस हिंसा को नजदीक से देखे जाने वाले गवाहों ने बताया उस हिंसक भीड़ को उकसाने में जगदीश टाइटलर का सबसे बड़ा रोल था। इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की 147, 149,153A,188, 109, 295, 380 और  302 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

3 बार टाइटलर को मिल चुकी थी क्लीन चिट

दिल्ली की आजाद मार्केट एरिया के पुल बंगश गुरुद्वारा हिंसा (Pul Bangash Gurudwara Violence) मामले को लेकर इसके पहले भी जगदीश टाइटलर को 3 बार क्लीन चिट मिल गई थी। लेकिन इस बार दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिख दंगा मामले में पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय कर लिए हैं। इसके पहले सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया था कि 1984 सिख विरोधी दंगों के चश्मदीदों ने दंगों के दौरान कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को भीड़ को उकसाते हुए देखा था।

40 साल बाद गवाह आ रहे सामने, कैसे करें भरोसा?

इसके पहले भी पिछली सुनवाइयों के दौरान कोर्ट में टाइटलर को बचाने के लिए बचाव पक्ष के वकील ने कई तरह से दलीलें दी थीं। इसके पहले 19 जुलाई को सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील मनु शर्मा ने तीन मूर्ति हाउस में दूरदर्शन की शूटिंग का एक वीडियो रिकॉर्ड पर रखा, जहां इंदिरा गांधी का शव रखा गया था। मनु शर्मा ने दलील दी थी कि सीबीआई ने तीन क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हैं। सीबीआई ने सह-आरोपी सुरेश कुमार पनेवाला के खिलाफ 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। उसे ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। यह भी दलील दी गई कि 1984 से लेकर 2022-23 तक कोई गवाह नहीं आया। 40 साल के लंबे अंतराल के बाद गवाह सामने आ रहे हैं। उन पर कैसे भरोसा किया जा सकता है? 

आखिर क्यों भड़के थे 1984 में सिख दंगे?

31 अक्टूबर 1984 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रधानमंत्री की हत्या के बाद पूरे देश में सिखों को निशाना बनाया गया और देखते ही देखते सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए। तत्कालीन कांग्रेस सांसद जगदीश टाइटलर ने दंगों में हिंसक भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाया, ये बयान सिख दंगों के तत्कालीन गवाहों ने कोर्ट में में दिए। इन्हीं बयानों के आधार पर कोर्ट ने दंगाइयों ने राष्ट्रीय राजधानी के पुल बंगश इलाके में 3 लोगों की हत्या की वजह बताई। वहीं इस मामले में चल रही सुनवाई पर सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। ऐसे चश्मदीद गवाह हैं जिन्होंने उसे 1984 के दंगों के दौरान भीड़ को उकसाते हुए देखा था।

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