
NEW DELHI, OCT 7 (UNI):- Lok Jan Shakti party leader Chirag Paswan addressing a press conference after allotment of new party symbol, in New Delhi on Thursday. UNI PHOTO-PSB10U
2024 लोक सभा चुनाव: चिराग पासवान ने अपने पिता के कर्मभूमि में अपने चाचा पशुपति परस को चुनौती दी
2024 लोक सभा चुनाव के दौरान जनता दल (लोकतांत्रिक) के नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति परस को चुनौती दी है। चिराग पासवान ने इस चुनौती को अपने पिता रामविलास पासवान के कर्मभूमि में जाकर दी है। यह एक महत्वपूर्ण और राजनीतिक उपहार है, क्योंकि रामविलास पासवान ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता और चिराग पासवान के चाचा पशुपति परस को अपनी वसीयत में नामित किया था।
चिराग पासवान की चुनौती
चिराग पासवान ने चुनावी मैदान में अपने चाचा पशुपति परस को चुनौती देते हुए कहा है कि वह अपने पिता की कर्मभूमि में आकर चुनावी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि यह उनका पिता रामविलास पासवान के आखिरी इच्छा को पूरा करने का एक तरीका है। चिराग पासवान ने भी इस चुनौती को स्वीकार किया है कि वह अपने चाचा परस के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
राजनीतिक मायाजाल
यह चुनौती राजनीतिक मायाजाल के एक महत्वपूर्ण हिस्से है, जहां परिवार के सदस्यों के बीच राजनीतिक विवाद होते हैं। चिराग पासवान की इस चुनौती से पता चलता है कि वह स्वयं को भाजपा के विरोधी के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपने पिता के विचारों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं और अपने चाचा परस के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। यह चुनौती भाजपा के लिए भी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि पशुपति परस भाजपा के सदस्य हैं और उन्हें बड़ी संख्या में समर्थन मिल सकता है।
चिराग पासवान के इस नए राजनीतिक अभियान का मुख्य उद्देश्य उनके पिता के विचारों को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी का मुख्य लक्ष्य है बिहार के लोगों के लिए एक समृद्ध और विकसित राज्य बनाना। इसके लिए, चिराग पासवान को अपने पिता के विचारों को पूरा करने के लिए चुनाव जीतना होगा।
चुनावी प्रक्रिया
2024 लोक सभा चुनाव की प्रक्रिया अप्रैल-मई 2024 में होने की संभावना है। इस चुनाव में बिहार के विभिन्न जिलों से उम्मीदवारों को चुने जाएंगे। चिराग पासवान और पशुपति परस दोनों ही बिहार के जिले सीतामढ़ी से उम्मीदवारी कर सकते हैं। इस चुनाव में उन्हें अपने जिले के लोगों को अपनी बात समझाने की आवश्यकता होगी।
चिराग पासवान की चुनौती ने पूरे देश में राजनीतिक गतिशीलता को बढ़ावा दिया है। यह चुनौती न केवल चिराग पासवान के परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। चुनावी मैदान में इस तरह की चुनौतियों का होना आम बात नहीं है, लेकिन इस बार यह चुनौती खास रूप से मीडिया और जनता के ध्यान को आकर्षित कर रही है।
चिराग पासवान और पशुपति परस के बीच चुनावी मैदान में होने वाली टक्कर देश के राजनीतिक मायाजाल को गर्म कर सकती है। यह चुनौती न केवल उनके परिवार के बीच राजनीतिक विवाद को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे उनकी पार्टी और उनके राजनीतिक करियर पर भी असर पड़ सकता है।