अखिलेश रायजम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने UAPA ट्रिब्यूनल को एक हलफनामा सौंपा है। इस हलफनामे में मलिक ने बताया कि उसने 30 साल पहले ही हथियार छोड़ दिया है और अब वह गांधीवादी हो गया है। उसने ऐसा 1994 में “एकजुट स्वतंत्र कश्मीर” स्थापित करने के लिए किया है। यासीन मलिक इस समय टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है। उसने अपने हलफनामे में कहा कि मैंने 1994 से ही हिंसा और हथियार छोड़ दिया है।
गुरुवार को जारी इस गजट नोटिफिकेशन में UAPA ट्रिब्यूनल का आदेश शामिल है, जिसमे यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट पर UAPA के तहत लगाए बैन को ट्रिब्यूनल ने बरकरार रखा है। UAPA ट्रिब्यूनल के आदेश में यासीन मलिक के बयान /जवाब का जिक्र है। जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक ने UAPA ट्रिब्यूनल में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि वो सशस्त्र संघर्ष का रास्ता तीस साल पहले छोड़ चुका है।
अब मैं गांधीवादी रास्ते पर
यासीन मलिक का कहना है अब जम्मू-कश्मीर में भारतीय कब्जे का विरोध करने के लिए वो गांधीवादी रास्ते पर पर है। गांधी का रास्ता अपना कर वो और उसका संगठन स्वतंत्र जम्मू कश्मीर को पाने के अपने लक्ष्य में लगें है। UAPA ट्रिब्यूनल ने यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट पर अगले 5 साल के लिए लगाए बैन के फैसले को बरकरार रखा है।
ट्रिब्यूनल में चली सुनवाई के दौरान यासीन मलिक जेकेएलएफ-वाई की ओर से एकमात्र गवाह के रूप में गवाही के लिए पेश हुआ था। यासीन मलिक ने बताया कि शुरुआत में उस यकीन दिलाया गया था कि कश्मीरी युवाओं और कश्मीरी आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सशस्त्र संघर्ष ही एकमात्र तरीका था। लेकिन बाद में उसने गांधीवादी तरीका अपना लिया।मलिक ने बताया कि कैसे केंद्र सरकार के शीर्ष राजनीतिक और सरकारी अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया ताकि अलगाववादियों द्वारा उठाए गए कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके। जब से उसने गांधीवादी रास्ता अपनाया है, केंद्र सरकार उससे लगातार बातचीत करती रही है
मलिक ने जवाब में उर्दू शायरी के कई संदर्भों का हवाला देकर भारत से जम्मू और कश्मीर को अलग करने के अपने संघर्ष को सही ठहराने की कोशिश की है। मलिक ने ट्रिब्यूनल को बताया कि 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जेकेएलएफ-वाई पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, जेकेएलएफ और उसके कैडरों के खिलाफ कोई भी गैरकानूनी गतिविधि का कोई मामला सामने नहीं आया नहीं है, जिसके चलते प्रतिबंध को फिर से लागू करने का आधार बनता हो।