“वो चाकू अब भी मेरी आँखों में जगह बनाए हुए है, और वो महिला भी, जिसने मुझे पकड़कर गिरा दिया था.” ये शब्द हैं हवाअ मोहम्मद कामिल के जिनकी उम्र अब 30 वर्ष हो चुकी है. उन्हें जब महिला ख़तना (FGM) का शिकार बनाया गया, तब उनकी उम्र केवल 6 वर्ष थी. वो ऐसा अनुभव था जिसने उनके जीवन में ना केवल शारीरिक, बल्कि गहरे मनोवैज्ञानिक घाव भी छोड़े. मगर अब बदलाव की बयार ज़ोर पकड़ रही है.
‘नई पीढ़ी अलग है’: जिबूती में महिला ख़तना के उन्मूलन की ज़ोरदार पैरवी
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