West Bengal: पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सकों ने 10 सितंबर की शाम तक कार्य पर लौटने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश की अवहेलना करते हुए बुधवार को 33 वें दिन भी हड़ताल जारी रखी। प्रदर्शनकारी चिकित्सक पिछले महीने एक सरकारी अस्पताल में कथित तौर पर दुष्कर्म और हत्या की शिकार एक चिकित्सक को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
जूनियर चिकित्सकों ने कोलकाता पुलिस आयुक्त और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को उनके पदों से हटाने की मांग को लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्वास्थ्य भवन के बाहर दूसरे दिन भी धरना जारी रखा।
अदालत ने दिया था ये निर्देश
शीर्ष अदालत ने सोमवार को प्रदर्शनकारी ‘रेजिडेंट डॉक्टरों’ को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश देते हुए कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने यह निर्देश तब दिया जब पश्चिम बंगाल सरकार ने उसे आश्वासन दिया कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के खिलाफ दंडात्मक तबादलों सहित कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। राज्य सरकार ने कहा कि उसने प्रदर्शनकारियों को पत्र लिखकर घटना पर गतिरोध को सुलझाने के लिए राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है।
हालांकि, प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने कहा कि बैठक के लिए पत्र राज्य के स्वास्थ्य सचिव का था, जिनका वे इस्तीफा मांग रहे थे और उन्होंने इसे ‘अपमानजनक’ बताया। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रतिनिधियों की संख्या को 10 तक सीमित करना भी ‘अपमानजनक’ था।
क्या है पूरा मामला?
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु का शव नौ अगस्त को बरामद किया गया था। अपराध के सिलसिले में अगले दिन एक सहायक को गिरफ्तार किया गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) महिला चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की जांच कर रही है।
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