उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे में चल रहे अवैध मदरसों पर लगातार लगाम कस रही है। अब सूबे के गोंडा जिले में चल रहे अवैध मदरसों पर योगी सरकार एक्शन के मोड में है। जिले में कुल 39 ऐसे मदरसे चिन्हित किए गए हैं जो कि लीगल नहीं हैं। इसमें 20 मदरसों को योगी सरकार ने मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव भेजा है और बाकी के बचे 19 मदरसों को योगी सरकार ने अवैध पाया है जिस पर एक्शन की तैयारी हो रही है। मदरसों के खिलाफ यूपी सरकार की कार्यवाहियों के बाद अब खुद मदरसा संचालक भी प्रस्ताव देकर अपनी मान्यताएं वापस कर रहे हैं।
सूबे के गोंडा जिले में भी 20 मदरसा संचालकों ने अपनी मदरसा कमेटियों की बैठक करके मान्यता खत्म करने को लेकर गोंडा अल्पसंख्यक विभाग को प्रस्ताव भेजा है। गोंडा अल्पसंख्यक विभाग द्वारा इन सभी 20 मदरसों की मान्यता रद्द करने के लिए मदरसा बोर्ड को रिपोर्ट भेज दी गई थी। मदरसा बोर्ड की हुई बैठक में इन सभी मदरसों की मान्यता रद्द करने को लेकर के सहमति व्यक्त की गई है। अब इन सभी मदरसों को अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बंद कराए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही गोंडा जिले में बिना मान्यता के चल रहे 19 अवैध मदरसों को भी बंद करने के लिए भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
मदरसे के बच्चों को अलग होगा एडमिशन
गोंडा में जल्द ही बंद होने वाले कुल 39 मदरसों को अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बंद करा करके मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों का अलग एडमिशन करवा जाएगा। जिले के 39 मदरसों की मान्यता खत्म होने के बाद इनके छात्रों को परिषदीय स्कूलों में नामांकित करवा कर पढ़ने के लिए भेजा जाएगा। मदरसों से निकले बच्चों को 30 सितंबर तक परिषदीय स्कूलों में एडमिशन करवाया जा सकता है। वैसे भी जिले के 537 मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम छात्रों का नामांकन परिषदीय स्कूलों में कराने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। इससे मदरसों में छात्रों की संख्या कम हो रही थी। योगी सरकार के इस एक्शन के बाद अब बंद होने वाले मदरसों के छात्रों को भी परिषदीय स्कूलों में दाखिला मिलेगा।
प्रत्येक मदरसे में 3 शिक्षकों को मिलता था मानदेय
सूबे में मदरसा शिक्षा को मार्डेनाइज करने के लिए चल रही आधुनिकीकरण योजना चल रही थी जिसे शासन ने अब स्थगित कर दिया है। इसके अंतर्गत सूबे के 286 मदरसों को मार्डेनाइज करने की योजना में शामिल किया गया था। सूबे के प्रत्येक मदरसे के 3 शिक्षकों को शासन से मानदेय दिया जाता था। इसी साल की शुरुआत में जनवरी से ही मानदेय देने की योजना शासन से स्थगित हो गई थी। मदरसों को सरकार के इस फैसले से भी बड़ा झटका लगा है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रमेश चंद्र ने बताया कि मदरसों की मान्यता वापस लिए जाने की सूचना मिली है। आदेश मिलने पर उन्हें बंद कराया जाएगा।