महाराष्ट्र विस उपाध्यक्ष ने धनगर को एसटी श्रेणी में शामिल करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया

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महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने घुमंतू जनजातियों के रूप में वर्गीकृत धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल करने की आवश्यकता पर सोमवार को सवाल उठाया। इससे एक दिन पहले, सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की थी।

पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठावाड़ा क्षेत्र का चरवाहा समुदाय धनगर अपने आप को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग करता रहा है। समुदाय ने दावा किया कि वह आरक्षण से वंचित रहा है क्योंकि केंद्र के डेटाबेस में ‘धनगर’ का कोई उल्लेख नहीं है जबकि ‘धनगड़’ को एसटी में शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की थी जिसके बाद सरकार ने यह यह प्रमाणित करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों की एक समिति गठित करने की घोषणा की कि ‘धनगर’ और ‘धनगड़’ एक ही समुदाय के अलग-अलग नाम हैं।

उप मुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता जिरवाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘धनगर को आरक्षण का लाभ दिए जाने का कोई विरोध नहीं है। लेकिन उन्हें एसटी श्रेणी में शामिल क्यों करना? रविवार को हुई बैठक में हमें भी आमंत्रित करना चाहिए था। हम अपना पक्ष रखते। सरकार उन्हें अलग से लाभ दे सकती है लेकिन उन्हें हमारे समूह में शामिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’

इस बीच, धनगर समुदाय के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘घुमंतू जनजाति समूह के लिए बहुत कम फीसदी आरक्षण है और धनगर समुदाय कई राज्यों में फैला है और महाराष्ट्र में इसकी अच्छी-खासी आबादी है। धनगर को एसटी श्रेणी में शामिल करने से अधिक छात्रों और नौकरी पाने के आकांक्षियों को फायदा मिलेगा।’’