लेबनान में हिजबुल्लाह के चीफ शेख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद कई इस्लामिक देशों में मातम मनाया गया, तो वहीं कई देशों में जश्न का माहौल था। भारत के कुछ हिस्सों में भी नसरल्लाह की मौत को लेकर प्रदर्शन किया गया और लोगों ने कैंडल मार्च भी निकाला। भारत में राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं ने तो नसरल्लाह को शहीद भी बता दिया। इसे लेकर स्वामी चक्रपाणि खूब भड़के। उन्होंने भारत सरकार और निर्वाचन आयोग से अपील की है कि ऐसी पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करे।
स्वामी चक्रपाणि ने कहा, “हमास और हिजबुल्लाह आतंकी सोच के लोग हैं। उसका कोई कैसे समर्थन कर सकता है? अगर कोई समर्थन करता है, तो वो भी उसी तरह के लोग हैं। भारत सरकार और मुख्य निर्वाचन आयोग से निवेदन है कि हमास या हिजबुल्लाह का समर्थन करने वाली पार्टी का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाए। ऐसी पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, क्योंकि ये आतंकवाद के समर्थन के तौर पर है।”
महबूबा ने नसरल्लाह को बताया शहीद
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम ने नसरल्लाह को शहीद करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी सभी चुनावी रैलियां भी रद्द करने का ऐलान किया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में छोटी बच्चियां भी शामिल हो गईं।
महाराष्ट्र सरकार के गाय को राज्य माता बनाने के फैसले को लेकर स्वामी चक्रपाणि ने कहा, “गाय को राज्य माता बनाने पर महाराष्ट्र सरकार की प्रशंसा करता हूं। केंद्र सरकार भी गाय हत्या पर पूर्ण प्रतिबंद लगाएं। बीफ जो बेचा जा रहा है, उसपर रोक लगाएं। अच्छा कार्य कभी भी हो सकता है, चुनाव तो होते रहते हैं।”
महाराष्ट्र सरकार ने देशी गाय को राज्यमाता किया घोषित
महाराष्ट्र सरकार ने वैदिक काल से देसी गायों के महत्व को देखते हुए उन्हें राज्यमाता-गोमाता घोषित किया। बता दें, यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब राज्य विधानसभा चुनाव जल्द ही होने की संभावना है। मुंबई में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि देसी गायों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया गया है।
डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को इन गायों के लिए चारा भी उपलब्ध कराएगी। राज्य मंत्रिमंडल ने वैदिक काल से देसी गायों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गौशाला संचालकों को प्रति गाय 50 रुपये प्रतिदिन अनुदान देने के पशुपालन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।
एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि महाराष्ट्र गौशाला आयुक्तालय ऐसी गौशालाओं के कामकाज की देखरेख करेगा। 2019 की गणना के अनुसार, राज्य में 46,13,632 देसी गायें हैं, जो पिछली गणना के आंकड़ों की तुलना में 20.69 प्रतिशत कम है। सरकार द्वारा सोमवार को जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया, “वैदिक काल से ही मानव जीवन में गाय का महत्व धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक है, इसीलिए इसे ‘कामधेनु’ कहा जाता है।”
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