Kerala News: केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कलमस्सेरी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह वयोवृद्ध वामपंथी नेता एम.एम. लॉरेंस का शव तीन अक्टूबर तक सुरक्षित रखे।
कलामस्सेरी चिकित्सा महाविद्यालय ने 25 सितंबर को लॉरेंस का शव स्वीकार करने का फैसला किया था और उसे शरीर संरचना अध्ययन विभाग को सौंप दिया गया था। लॉरेंस की बेटी आशा की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार यह विचार कर सकती है कि क्या कोई उच्च प्राधिकारी इस मामले को संभाल सकता है।
अस्पताल प्राधिकारियों की ओर से कुछ चूक हुई
न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने कहा कि सुनवाई के दौरान अस्पताल प्राधिकारियों की ओर से कुछ चूक हुई। आशा ने अदालत में दावा किया कि उन्होंने शव दान करने की सहमति वापस ले ली है।
एर्णाकुलम के टाउन हॉल में 23 सितंबर को उस समय नाटकीय दृश्य उत्पन्न हो गया था जब लॉरेंस के शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। दिवंगत नेता की बेटी ने पिता के शव को यहां के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल को दान करने के फैसले का विरोध किया था।
आशा ने अदालत का रुख किया
आशा ने अदालत का रुख किया और अपने एक सहोदर द्वारा पिता के शव को अध्ययन के वास्ते चिकित्सा महाविद्यालय को दान करने के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अर्जी पर विचार करते हुए कलमस्सेरी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह आपत्ति पर सुनवाई करे और केरल एनाटॉमी अधिनियम के तहत फैसला करे।
चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि लॉरेंस के बेटे एम.एल. सजीवन की ओर से दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि उनके पिता ने मार्च 2024 में दो गवाहों की उपस्थिति में शरीर दान करने की सहमति दी थी।
भारतीय जनता पार्टी के प्रति सहानुभूति रखने वाली आशा और उनके बेटे ने गत सोमवार को उस समय विरोध किया था जब चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारी शव को अपने कब्जे में लेने के लिए टाउन हॉल पहुंचे थे। लॉरेंस का 21 सितंबर को 95 साल की उम्र में निधन हो गया था।
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