केरल: लंबे समय तक जीवित रहने वाली ‘जायंट ट्रेवली’ मछलियों की संख्या बढ़ाने पर जोर

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केरल में अचानक आई बाढ़ से पानी की लवणता कम हुई है जिससे राज्य में खारे पानी की मछलियों को पालने वालों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। केरल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति तेजी से संवेदनशील होता जा रहा है।

प्रदेश में इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार के एक संस्थान ने ‘जायंट ट्रेवली’ मछली का जीरा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है जो क्षेत्र में मुश्किल का सामना कर रहे मछली पालकों के लिए उम्मीद की नयी किरण साबित हो सकती है।‘जायंट ट्रेवली’ कम ल‍वणता वाले पानी में भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकती है। विझिंजम स्थित केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) का प्रजनन केंद्र ‘जायंट ट्रेवली’ मछली का जीरा कृत्रिम रूप से तैयार करेगा और इन्हें केरल व पड़ोसी राज्यों के मत्स्यपालकों को बेचेगा।

‘जायंट ट्रेवली’ मछलियों की संख्या बढ़ाने पर जोर

संस्थान मुख्य रूप से सिल्वर पोम्पानो के साथ-साथ अन्य मछली किस्मों के प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करता है। ‘जायंट ट्रेवली’ एक शिकारी प्रकृति वाली मछली है, जो पूरी तरह से विकसित होने पर छह फुट लंबी और वजन में 80 किलोग्राम तक हो सकती है। इस एक हड्डी वाली मछली में हड्डियों को जोड़ने वाली मांसपेशियां नहीं होती और यह दुनिया भर की सबसे महंगी मछलियों में से एक है, जिसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो सकती है।

विझिंजम स्थित सीएमएफआरआई के वैज्ञानिकों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि केरल में खारे पानी के मछली पालक उनसे संपर्क कर रहे हैं क्योंकि हाल के वर्षों में राज्य में अचानक बाढ़ आने और मूसलाधार बारिश के कारण अक्सर मछलियां मर जाती हैं। अचानक बाढ़ या फिर भारी बारिश जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट प्रभाव है। सीएमएफआरआई केंद्र के प्रमुख डॉ. बी. संतोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “जायंट ट्रेवली’ एक बहुत ही स्वादिष्ट मछली है और इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। हमने देखा है कि सिल्वर पोम्पानो की तुलना में विशाल ट्रेवली बहुत कम लवणता वाले पानी में जीवित रह सकती है।”

केरल में खारे पानी से नुकसान

केरल में खारे पानी के लगभग 10,000 मछली पालकों में से अधिकांश मुख्य रूप से ‘पर्ल स्पॉट’ और ‘सिल्वर पोम्पानो’ मछलियों का व्यापार करते हैं। हालांकि अप्रत्याशित मौसम और केरल की नदियों व नहरों में पानी की लवणता में अचानक कमी के कारण ‘सिल्वर पोम्पानो’ मछली की मृत्यु दर बढ़ी है।विझिंजम स्थित सीएमएफआरआई केंद्र में समुद्री मछली की किस्मों के प्रजनन अभियान का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक अम्बरीश पी गोपी ने कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसी मछली की संख्या बढ़ाना था, जो बहुत कम लवणता वाले पानी में जीवित रह सके और कम समय में अच्छी तरह विकसित हो सके। ‘जायंट ट्रेवली’ तेजी से बढ़ सकती है और हमें उम्मीद है कि इससे किसान साल में दो बार मछली पकड़ सकेंगे।”

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