Ratan Tata: वो दर्द…जो रतन टाटा को सताता रहा, कोई और ना तड़पे इसके लिए कर गए बड़ा काम

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Ratan Tata Death: टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा देश के बड़े उद्योगपतियों में से एक थे, लेकिन उनकी जिंदगी का एक दर्द उन्हें सताया करता था। 86 साल के रतन टाटा फिलहाल हमारे बीच नहीं रहे हैं। 9 अक्टूबर देर रात को मुंबई के अस्पताल में उनका निधन हो गया। अपने पीछे वो एक हजारों करोड़ का विशाल साम्राज्य छोड़कर गए हैं। हालांकि वो अपनी निजी जिंदगी में एक दर्द के चलते तपड़ते रहे। अपने दर्द को समझते हुए ही उन्होंने कई पहलों का समर्थन किया, जो बहुत के लोगों का सहारा बनीं।

रतन टाटा की कोई संतान नहीं है। उनकी शादी नहीं हुई थी। ऐसे में वो निजी जिंदगी में अकेले थे और अकेलेपन की तड़प समझते थे। रतन टाटा के पास सब कुछ था, लेकिन उन्हें अकेलेपन का दर्द था। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपने इस अकेलेपन के दर्द को बयां किया था। कार्यक्रम शांतनु नायडू की स्टार्टअप Goodfellows की ओपनिंग का था। जहां रतन टाटा ने कहा था, ‘आप नहीं जानते कि अकेलापन कैसा होता है? आप जब तक अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते, तब तक अकेलेपन का अहसास नहीं होता। रतन टाटा ने आगे कहा था, ‘जब तक आप बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने का मन बिल्कुल नहीं होता।’

बुजुर्गों का अकेलापन दूर करने के लिए उठाए कदम

अपने बुढ़ापे के दिनों में रतन टाटा ने ये बात बोली थी, जिससे पता चलता है कि बुजुर्गों का अकेलापन को समझते थे। अहम ये है कि बुजुर्गों के अकेलेपन दूर करने के लिए उनकी तरफ से कई कदम उठाए गए। शांतनु नायडू की स्टार्टअप का स्टार्टअप भी कुछ इसी तर्ज पर था। इस स्टार्टअप का उद्देश्य अकेले वरिष्ठ नागरिकों को युवाओं के साथ जोड़ना है। एक तरीके से ये वरिष्ठ नागरिकों को प्यार का एहसास कराने और उनके अकेलेपन को दूर करने में मदद का जरिया है।

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उसके अलावा 2017 में टाटा ट्रस्ट ने एल्डर स्प्रिंग रूरल प्रोग्राम शुरू किया था, जिसका उद्देश्य भारत में बुजुर्गों की जिंदगी में सुधार करना है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल और प्रोमोटिव ट्रीटमेंट शामिल हैं।

86 साल की उम्र रतन टाटा का निधन हुआ

दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने अपने रतन टाटा के निधन की पुष्टि की है। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। बुधवार शाम को उनकी तबीयत अधिक खराब के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके कुछ घंटे बाद ही खबर आई कि अब रतन टाटा इस दुनिया में नहीं रहे।

नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बेचा

रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी ‘टाटा संस’ के अध्यक्ष के रूप में टाटा समूह का नेतृत्व किया। उन्होंने 2012 तक उस समूह का शानदार नेतृत्व किया, जिसकी शुरुआत उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी। टाटा ग्रुप को बुलंदियों तक ले जाने में रतन टाटा की सबसे अहम भूमिका रही। रतन टाटा को देश हमेशा दरियाद‍िली इंसान और मुसीबत में देश के लिए हमेशा तैयार रहने वाले उद्योगपति के रूप में याद करेगा।

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