नेपाल में रहने वाली दीप्ति गुरूंग जब अपनी बेटियों को नागरिकता दिलाने के लिए छोटी सी शुरुआत कर रही थीं तो उन्हें नहीं मालूम था कि उससे कितनी अहम राह निकलेगी. दीप्ति अब एशिया-प्रशान्त से नैनसेन पुरस्कार की विजेता हैं, जिन्होंने यह जानने के बाद कि उनकी दो बेटियाँ नेपाल में अचानक देश विहीन हो गई थीं, तो वहाँ के नागरिकता क़ानून में सुधार के लिए आन्दोलन चलाया. उससे उनके लिए और ऐसे ही हालात वाले हज़ारों अन्य लोगों के लिए नागरिकता का रास्ता खुला है. (वीडियो)