वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में मंगलवार को उस समय बहुत ही नाटकीय घटनाक्रम हुआ जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने पानी वाली कांच की बोतल तोड़कर समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की तरफ फेंक दी, जिसके बाद उन्हें एक दिन के लिए समिति की बैठक से निलंबित कर दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस के दौरान बनर्जी गुस्से में आ गए और बोतल तोड़कर फेंक दी। इस दौरान उनकी अंगुलियों में चोट आई। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बनर्जी के आचारण की निंदा करते हुए कहा कि ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे। उन्होंने कहा, ‘‘यह अप्रत्याशित घटना है…वह सारी सीमाओं को लांघ गए थे, सारी मर्यादा को लांघ गए थे….समिति की अगली बैठक से उन्हें निष्कासित किया गया है।’’
लोकसभा अध्यक्ष ने फोन पर ली घटना की जानकारी
जगदंबिका पाल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को फोन कर घटनाक्रम से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं चार दशक से संसदीय जीवन में हूं। ऐसा कभी नहीं देखा। सांसदों को विशेषाधिकार हासिल होता है, क्या इस मतलब यह है कि कल कोई रिवाल्वर लेकर आ जाए। इस तरह की घटना से आहत हूं। समिति ने बहुत भारी मन से (निलंबित करने) फैसला किया है।’’
वहीं, कुछ विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि गंगोपाध्याय ने भी उन्हें निशाना बनाया था। पाल ने कहा कि उन्होंने और अन्य सदस्यों ने मामले को शांत करने की कोशिश की जब तृणमूल कांग्रेस नेता ने एक कांच की बोतल उठाई, उसे तोड़ दिया और उनकी ओर फेंक दिया। बोतल तोड़कर फेंकने के दौरान बनर्जी के दाहिने हाथ के अंगूठे और कनिष्ठा (सबसे छोटी अंगुली) में चोट लग गई। संसद परिसर स्थित चिकित्सालय में उनकी मरहम-पट्टी की गई।
कल्याण बनर्जी अगली बैठक के लिए निलंबित
समिति ने बाद में भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे द्वारा पेश एक प्रस्ताव पर विचार किया जिसमें अध्यक्ष के प्रति बनर्जी के आचरण के लिए उनको समिति से अगली बैठक से निलंबित करने की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव को आठ के मुकाबले 10 मतों से मंजूरी दी गई। सूत्रों का कहना है कि बनर्जी ने बोतल तोड़ने के लिए खेद व्यक्त किया और दावा किया कि उनका इरादा कभी इसे पाल की ओर फेंकने का नहीं था। साथ ही उन्होंने अपने साथ ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ व्यवहार का आरोप भी लगाया।
बनर्जी को दंड स्वरूप केवल एक दिन का निलंबन दिए जाने और प्रस्ताव में उन पर हुए मौखिक हमले का कोई जिक्र न होने से गंगोपाध्याय काफी नाराज दिखे। एक सूत्र ने कहा कि उनके द्वारा इस मुद्दे को उच्चतम स्तर पर उठाए जाने की संभावना है। भविष्य की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर पाल ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को घटनाक्रम से अवगत कराया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक तरह से आपराधिक कृत्य था जो मुझे बुरी तरह चोट पहुंचा सकता था। उनका आचरण संसदीय लोकतंत्र के लिए झटका है।’’
कल्याण बनर्जी पत्रकारों से नहीं की बात
घटनाक्रम के बाद बनर्जी को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह द्वारा बैठक कक्ष में वापस ले जाते देखा गया। अधिकारियों ने टीएमसी सदस्य को सूप भी पेश किया। बैठक खत्म होने के बाद बनर्जी ने घटना के बारे में पत्रकारों से बात करने से इनकार कर दिया। समिति ओडिशा के दो संगठनों के विचार सुन रही थी, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश और वकील शामिल थे, उस समय विपक्षी सदस्यों ने सवाल किया कि इस विधेयक से इनका क्या लेनादेना है।
बनर्जी और गंगोपाध्याय के बीच तीखी नोकझोंक
भाजपा के एक सदस्य ने कहा कि बनर्जी बोलने वाले पहले व्यक्ति थे और अध्यक्ष ने उन्हें कुछ हस्तक्षेप की अनुमति भी दी। जब उन्होंने एक बार फिर बोलने का मौका देने की मांग की तो पाल ने मना कर दिया। इसके बाद बनर्जी और गंगोपाध्याय के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। गंगोपाध्याय ने बार-बार होने वाले व्यवधान पर आपत्ति जताई थी।
केरल आधारित राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसद दोपहर में समिति के समक्ष पहुंचे और संशोधनों का विरोध किया। वक्फ (संशोधन) विधेयक को मानसून सत्र में लोकसभा में पेश किए जाने के तुरंत बाद संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था।
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