अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को लुभाएगा टिकरी जंगल और पार्वती अरगा पक्षी विहार

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भगवान राम के दर्शन के लिए राम नगरी अयोध्या आने वाले देश और विदेश के श्रद्धालुओं को गोंडा जिले की ओर आकर्षित करने के लिए टिकरी जंगल और पार्वती अरगा पक्षी विहार को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है।

इसके लिए न केवल जिले के टिकरी जंगल और पार्वती अरगा पक्षी विहार को ‘ईको-टूरिज्म’ केंद्र के रूप में विकसित किए जाने की तैयारी है, बल्कि ऋषि मुनियों की इस पावन धरती पर अनेक पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने की योजना है।

केंद्रीय वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री एवं सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा, ‘‘1084 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला पार्वती अरगा पक्षी विहार रामसर परियोजना का हिस्सा है। यहां साइबेरियन पक्षियों को शरण मिलती है। यह झील पूरे वर्ष 30 से अधिक स्थानीय और सर्दियों के मौसम में तिब्बत, चीन, यूरोप और साइबेरियन पक्षियों से गुलजार रहती है।’’

सिंह ने कहा कि सर्दी का मौसम शुरू होते ही अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में विदेशी पक्षी यहां आने लगते हैं और करीब चार महीने तक प्रवास के बाद मौसम बदलते ही स्वदेश लौट जाते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए कुछ पक्षी 5000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हैं।

उन्होंने कहा कि यहां आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों में यूरेशियन कूट और मलार्ड, ग्रेलैग कलहंस, नार्दर्न पिंटेल, नार्दर्न साल्वर, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, गड़वाल शामिल हैं।

सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र का विकास होने से यह अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। सरकार द्वारा वर्ष 1990 में पार्वती-अरगा झीलों को पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।

उन्होंने कहा कि करीब सात हजार पांच सौ हेक्टेयर में फैला टिकरी वन क्षेत्र साखू, सागौन जैसे बेश कीमती पेड़ों से समृद्ध है और इस क्षेत्र को भी सरकार ‘ईको-टूरिज्म’ की तर्ज पर विकसित करने की दिशा में काम कर रही है जिसके लिए जल्दी ही जरूरी बजट आवंटित कर दिया जाएगा।

सिंह ने कहा, ‘‘अयोध्या धाम से सटा होने के कारण भगवान श्री राम के दर्शनार्थ यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह दोनों परियोजनाएं अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र बनेंगी। श्रद्धालु यहां आकर अपनी आध्यात्मिक यात्रा के साथ प्रकृति का भी आनंद ले सकेंगे।’’

अयोध्या आने वाले हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष जिले के छपिया में स्थित स्वामी नारायण सम्प्रदाय के संस्थापक भगवान घनश्याम की जन्मस्थली पर माथा टेकने पहुंचते हैं जिनमें गुजरात के श्रद्धालुओं की संख्या सर्वाधिक होती है।

जिला प्रशासन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली ‘कोंड़र’ भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित की जा रही है।

गोंडा-अयोध्या राजमार्ग पर स्थित वजीरगंज के पास इस गांव में एक भव्य मंदिर निर्माणाधीन है। मंदिर में स्थापित करने के लिए महर्षि पतंजलि की लाल ग्रेनाइट पत्थर से बनी साढ़े पांच फुट लंबी और दो टन से अधिक वजन की बैठी हुई मुद्रा की प्रतिमा जयपुर से लाई जा चुकी है जिसे जल्द ही मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा।

अधिकारियों के अनुसार राजमार्ग से जन्मस्थली तक दो लेन की सड़क भी निर्माणाधीन है। शीघ्र ही स्थित महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाकर सैलानियों को आकर्षित करेगी।

इसी प्रकार जिले में सरयू तट पर स्थित सूकरखेत के समीप राजापुर ग्राम में श्रीराम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि का विकास कार्य भी तेजी से हो रहा है।

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा, ‘‘गोंडा जिले में अनेक महापुरुषों की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने तथा अयोध्या से सटा होने के कारण यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग के सहयोग से इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है।’’

उन्होंने बताया कि पार्वती अरगा झील और टिकरी जंगल को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम शुरू हो चुका है। आने वाले दिनों में गोंडा पर्यटन के मानचित्र पर अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराएगा।

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