दिल्ली की एक अदालत ने विवादास्पद कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के बेटे का दो दशक से भी अधिक समय पहले अपहरण करने के आरोपी दो लोगों को बरी कर दिया।
यह मामला जब सामने आया था, राडिया का बेटा 18 वर्ष का था। अपहरण के आरोपी धीरज सिंह और विजय कुमार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपों को संदेह के परे साबित करने में विफल रहने पर बरी कर दिया। धीरज गुरुग्राम से लोकसभा सदय राव इंद्रजीत सिंह का दूर का रिश्तेदार और राडिया का पूर्व सहयोगी है।
अदालत के 16 अक्टूबर के 200 पृष्ठ के फैसले में कहा गया, ‘‘अदालत का विचार है कि अभियोजन पक्ष अपराध के आरोप के संबंध में संदेह से परे सबूत साबित करने में विफल रहा…इसलिए, आरोपियों को बरी किया जाता है।’’
अदालत ने कहा कि धीरज करण को पहले से जानता था और उसकी मां के साथ उसके ‘‘घनिष्ठ संबंध’’ थे तथा उसके साथ उसका व्यापारिक विवाद भी था।
कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई- कोर्ट
अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि मामले में कोई शिकायत नहीं की गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह स्वीकार्य तथ्य है कि घटना के बाद स्थानीय थाने में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई और यह बात रिकॉर्ड में आई है कि वर्तमान मामले की जांच बिना किसी औपचारिक जांच आदेश के अपराध शाखा के अधिकारियों द्वारा की गई।’’
आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी का तरीका ‘‘संदिग्ध’’ था- कोर्ट
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी का तरीका ‘‘संदिग्ध’’ था। अदालत ने कहा कि कि पीड़ित के मोबाइल फोन और कलाई घड़ी की बरामदगी भी संदिग्ध है, क्योंकि अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने गवाही दी थी कि करण के पास एक मोबाइल फोन था और वह घड़ी पहने हुए था। दो गवाहों में एक एसटीडी बूथ का मालिक और एक टैक्सी चालक था, जिनसे पीड़ित की मुलाकात उसके भागने के बाद हुई थी।
अदालत ने कहा कि करण के इस बयान को लेकर भी कई संदेह हैं कि उसका अपहरण कैसे किया गया और उसके बाद वह कैद से कैसे भागा, जिसके बाद उसने एक बूथ से फोन किया था। इस मामले में वसंत विहार थाना द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
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