मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने रविवार को बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में उस हाथी को पकड़ लिया, जिसने पिछले दिन दो लोगों को मार डाला था और एक अन्य व्यक्ति को घायल कर दिया था। माना जा रहा है कि इस हाथी को उन्माद (मुस्थ) की स्थिति में पकड़ा गया। ‘मुस्थ’ का आशय हाथी की उस आवधिक स्थिति से है, जिसका संबंध प्रजनन अवधि से है और इस दौरान टेस्टॉस्टेरॉन का स्तर बढ़ने से वह आक्रामक व्यवहार करता है।
इससे पहले, यह आशंका जताई गई थी कि लोगों की मौत तीन हाथियों के कारण हुई है।
अभयारण्य के उप निदेशक प्रकाश वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पदचिह्नों पर नजर रखने के बाद, हमने उस हाथी को पकड़ लिया, जो वयस्क अवस्था में प्रवेश कर चुका है और लगभग 20 वर्ष का है। हाथी उस झुंड के बचे हुए तीन हाथियों में से नहीं है, जिसने अपने 10 सदस्यों को इस सप्ताह खो दिया।’’
वर्मा ने कहा कि अभयारण्य के पास के गांवों के निवासियों ने दावा किया था कि झुंड के बचे हुए तीन हाथियों ने हमला किया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाथी का पता लगाने और उसे पकड़ने से पहले उसका पीछा किया, निगरानी की और उसके पैरों के निशान का अध्ययन किया।’’
वर्मा ने कहा कि इस हाथी ने पहले कुछ शिविरों पर हमला करके आक्रामकता का प्रदर्शन किया था, लेकिन इंसानों पर हमला नहीं किया था। उन्होंने बताया कि पकड़ने से पहले हाथी को बेहोश किया गया था।
वर्मा ने कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे के आदेश पर हाथी को पकड़ लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य से लगभग 10 किलोमीटर दूर देवरा गांव में हाथी ने नित्य कर्म के लिए घर से बाहर गए रामरतन यादव (50) को मार डाला था।
इसके बाद इस हाथी ने संरक्षित जंगल के बफर जोन में ब्राहे गांव में भैरव कोल (35) को मार डाला और फिर अभयारण्य के ठीक बाहर बांका में मालू साहू (32) पर हमला करके उसे घायल कर दिया। अभयारण्य के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में 29 अक्टूबर को चार जंगली हाथी मृत पाए गए थे, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो अन्य हाथियों की मौत हो गई थी। अधिकारियों के अनुसार, हाथियों की मौत किसी जहरीले पदार्थ को खाने से हुई।