
New CJI Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने सोमवार को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला। राष्ट्रपति मुर्मू (President Murmu) ने राष्ट्रपति भवन में संजीव खन्ना को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। इस दौरान पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। जान लें कि नए CJI संजीव खन्ना चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जैसे सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
दरअसल, संजीव खन्ना सोमवार को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ रिटायर हुए थे। जस्टिस खन्ना की सिफारिश डीवाई चंद्रचूड़ ने ही की थी। बता दें कि न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा।
केंद्र ने 16 अक्टूबर को डीवाई चंद्रचूड़ की सिफारिश के बाद 24 अक्टूबर को संजीव खन्ना की नियुक्ति को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया। शुक्रवार, 8 नवंबर को चंद्रचूड़ ने प्रधान न्यायाधीश के तौर पर आखिरी कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्हें शीर्ष अदालत और न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों ने शानदार विदाई दी।
महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं संजीव खन्ना
जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति खन्ना इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता को बनाए रखने, चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने, अनुच्छेद 370 को हटाने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
खन्ना प्रतिष्ठित परिवार से रखते हैं ताल्लुक
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजीव खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति देव राज खन्ना के बेटे और शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं। संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह लंबित मामलों को कम करने और न्याय मुहैया कराने में तेजी लाने पर जोर देते रहे हैं।
खन्ना के अनूठे फैसलों में ये है शामिल
सुप्रीम कोर्ट में जज रहे संजीव खन्ना के अनूठे फैसलों में से एक चुनावों में ईवीएम के उपयोग को बरकरार रखना है, जिसमें कहा गया है कि ये उपकरण सुरक्षित हैं और बूथ कब्जा करने और फर्जी मतदान की आशंका को खत्म करते हैं।
SC के जज का पदभार संभालते हुए संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर की आशंका को ‘‘निराधार’’ करार दिया और पुरानी मतपत्र प्रणाली पर वापस लौटने की मांग को खारिज कर दिया था। वह पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने राजनीतिक दलों को वित्त पोषण के लिए बनाई गई चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया था।
अब सीजेआई का पदभार संभाल चुके संजीव खन्ना न्यायमूर्ति रहते हुए उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था।
संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने ही पहली बार आबकारी नीति घोटाला मामलों में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को एक जून तक अंतरिम जमानत दी थी।
संजीव खन्ना का जन्म, पढ़ाई और…
नए सीजेआई संजीव खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। न्यायमूर्ति खन्ना राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन कराया और शुरुआत में यहां तीस हजारी परिसर में जिला अदालत में और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की।
आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में संजीव खन्ना का कार्यकाल लंबा रहा। 2004 में उन्हें दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। खन्ना ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त सरकारी अभियोजक और न्याय मित्र के रूप में कई आपराधिक मामलों में भी अदालत की सहायता की थी।
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