Akhilesh Yadav Attacked on Amit Shah: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए उस पर अपने गुनाहों पर पर्दा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी असल मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए दूसरों पर दोषारोपण करती है।
अखिलेश यादव की टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में आंबेडकर के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर आई है। उन्होंने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर ट्वीट कर लिखा, ‘भाजपा का दूसरों पर दोषारोपण कर अपने गुनाहों पर परदा डालने का खेल बहुत पुराना है। भाजपा ध्यान न भटकाए।’
‘भाजपा को सत्ता से हटाकर ही…’
उन्होंने आगे लिखा, ‘भाजपा ने बाबसाहेब का जो अपमान किया है उसके लिए हम सब वो लोग जिनके लिए बाबसाहेब पूजनीय हैं और जिनके मन में बाबासाहेब के लिए अपार सम्मान है, वो सब लोग भाजपा को कभी माफ नहीं करेंगे। भाजपा को सत्ता से हटाकर ही बाबसाहेब के साथ उनके संविधान के मान-सम्मान की पुनर्स्थापना का हम वचन उठाते हैं।’
इससे पहले सपा प्रमुख ने लखनऊ में पार्टी विधायक दल की बैठक में शाह की टिप्पणी को बाबा साहेब और उनके संविधान का अपमान करार देते हुए कहा कि यह कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की खराबी या तकनीकी गड़बड़ी नहीं है। यह उनके (भाजपा) अंदर की गलती है। यह उनके स्वाभाविक पूर्वाग्रह का प्रतिबिंब है।
सपा प्रमुख ने की माफी की मांग
उन्होंने यह तक कहा कि बीजेपी भाजपा डॉ आंबेडकर का सम्मान नहीं करती है क्योंकि उनका संविधान गरीबों, पिछड़ों और हाशिए पर पड़े लोगों का शोषण करने और उन पर हावी होने के उसके प्रयासों में बाधा खड़ी करता है। उन्होंने शाह से माफी की मांग करते हुए कहा कि बाबा साहेब के बारे में गृह मंत्री की टिप्पणी बेहद अपमानजनक है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। बाबा साहेब शोषितों, गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए पूजनीय व्यक्ति हैं। वे उनके लिए भगवान से कम नहीं हैं।
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर लगाया ये आरोप
अखिलेश यादव ने भाजपा की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता की आलोचना की और उस पर एक राष्ट्र, एक चुनाव जैसी नीतियों के माध्यम से देश को तानाशाही की ओर ले जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा अपना विमर्श थोपकर और लोकतंत्र का गला घोंटकर बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की दुर्दशा जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। बीजेपी का उद्देश्य संविधान से नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से देश चलाना है। लोकतंत्र के प्रति उसका तिरस्कार और केंद्रीकृत नियंत्रण के प्रति उसका प्रेम जगजाहिर है।
अमित शाह की किस टिप्पणी से गरमाई सियासत?
बता दें कि मंगलवार, 17 दिसंबर को संविधान पर राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अभी एक फैशन बन गया है… आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। शाह के इसी बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है।
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