UP: बनारस में रियल ‘बागबान’… बेटा बिजनेसमैन, बेटी वकील, करोड़ों की प्रॉपर्टी, प्रसिद्ध लेखक का वृद्धाश्रम में निधन

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अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्‍म आई थी बागबान। पिता पुत्र के रिश्‍तों पर आधारित ये फिल्‍म समाज के लिए एक संदेश बनी। इसमें प्रॉपर्टी के लिए बेटों ने पिता को घर से निकाल दिया। ‘बागबान’  जैसी ही रियल कहानी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यानी कि वाराणसी में देखने को मिली है। यहां संपत्ति की लालच में बेटे और बेटी ने पिता को मरणासन्न अवस्‍था में छोड़ दिया। बीते शनिवार को 80 साल की उम्र में उनकी मौत भी हो गई।

बेटे-बेटी पिता के अंतिम संस्‍कार तक में नहीं आए। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के रहने वाले प्रसिद्ध लेखक एस एन खंडेलवाल (श्रीनाथ खंडेलवाल) की जो एक अनाथालय में जीवन बिताने के लिए मजबूर थे। श्रीनाथ खंडेलवाल मार्च 2024 से काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में रह रहे थे। उनका परिवार उनसे अलग हो गया था, और वो अपनी 80 करोड़ की संपत्ति से बेदखल कर दिए गए थे। खंडेलवाल  400 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। उनकी किताबें फिल्‍पकार्ट और अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।

अपनों के होते भी लावारिस की तरह गैरों ने किया अंतिम संस्‍कार

अस्पताल से खंडेलवाल के निधन की सूचना मिलने के बाद अमन कबीर और उनके दोस्तों ने उनका अंतिम संस्कार किया। परिवार के सदस्यों को सूचना देने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने आने की इच्छा नहीं जताई। उनके बेटे, जो बड़े बिजनेसमैन हैं, ने आने से मना कर दिया, और बेटी ने फोन तक नहीं उठाया। बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। दामाद भी सुप्रीम कोर्ट में ही प्रैक्‍टिस करते हैं।

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80 करोड़ की संपत्ति, लेकिन घर से बेघर

एक मीडिया इंटरव्यू में खंडेलवाल ने बताया था कि उनके पास 80 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन बेटे-बेटी ने उन्हें घर से निकाल दिया। उनका कहना था, “घर-वर सब भूतकाल हो चुका है। अब वह मेरे जीवन का हिस्सा नहीं हैं।”

बेटे ने कहा था- लाश को बाहर फेंक देना

कुछ समय पहले मीडिया से बात करते हुए भारी मन से खंडेलवाल ने कहा था कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया।

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खंडेलवाल का परिचय

काशी में जन्म, 10वीं फेल; सैकड़ों किताबें ऑनलाइन खंडेलवाल की उम्र 80 साल थी। गुलाम भारत में पैदा हुए खंडेलवाल ने 15 साल की उम्र में कलम पकड़ ली। श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया था- 10वीं फेल हूं और 15 साल की उम्र से किताबें लिख रहा हूं। ज्यादातर किताबें, अन्य किताबों और पुराणों का ट्रांसलेशन है। इसमें मुझे महारथ है। अभी तक 400 किताबें लिख चुका हूं। जिनमें कई पुराण भी हैं। शिव पुराण के 5 वॉल्यूम हैं, जो ऑनलाइन हैं। उसकी कीमत 6 हजार से ज्यादा है।

3000 पन्नों का लिखा है मत्स्य पुराण

एक इंटरव्‍यू में खंडेलवाल ने कहा था कितनी किताबें लिखी हैं, कौन-कौन सी बताऊं। मत्स्य पुराण लिखी है, जो 3000 पन्नों की है। इसके अलावा शिव पुराण, पद्म पुराण लिखा। हिंदी, संस्कृत के अलावा असमी और बांग्ला में भी लिखा। अभी नरसिंह पुराण का अनुवाद हिंदी में कर रहा हूं। जल्द ही वह भी छप जाएगी। यह इच्छा उनकी अधूरी रह गयी।

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