Andhra Pradesh: डिप्टी CM पवन कल्याण को जान से मारने की धमकी, फोन पर दी गंदी गाली, FIR दर्ज

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आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को जान से मारने की धमकी मिली। जनसेना पार्टी ने इसकी जानकारी दी है। धमकी भरा फोन डिप्टी सीएम कार्यालय में आया था। किसी अज्ञात शख्स ने पवन कल्याण को जान से मारने की धमकी दी। धमकी देने वाले ने फोन पर गंदी-गंदी गालियां भी दी गई। उनके कार्यालय के अधिकारियों ने मामले की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी है। पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

सोमवार शाम को अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण के कार्यालय में फोन कर एक शख्स ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी। जानकारी के मुताबिक डिप्टी सीएम को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया और कॉल करने वाले पहले गाली-गलौज की और फिर जान से मारने की धमकी भी दे डाली। पुलिस को इस अज्ञात कॉल के बारे में सूचना दी गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

पवन कल्याण को फोन पर मिली जान से मारने की धमकी

पवन कल्याण को धमकी देने वाला कौन था और कहां से कॉल की गई थी, पुलिस इसकी तफ्तीश कर रही है। पुलिस कॉल डिटेल के आधार पर मामले की जांच कर रही है। उनकी पार्टी जनसेना ने बताया कि उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के कार्यालय के कर्मचारियों को धमकी भरे फोन आए। एक अज्ञात शख्स ने सीएम को जान से मारने की धमकी दी। पेशी स्टॉफ ने धमकी भरे फोन की जानकारी उपमुख्यमंत्री के ध्यान में लाया। पेशी अधिकारियों ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को धमकी भरे फोन और संदेशों के बारे में जानकारी दी।

हाल ही में विधानसभा में पेश किया था ये बिल

बता दें कि अभिनय से राजनीति में आए कल्याण ने हाल ही में राज्य विधानसभा में सोशल मीडिया दुरुपयोग संरक्षण विधेयक की वकालत की। उन्होंने सरकार से ऑनलाइन उत्पीड़न के मुद्दों, खासकर सार्वजनिक हस्तियों और महिलाओं को निशाना बनाने वाले मुद्दों को संबोधित करने का आग्रह किया। उन्होंने दुर्व्यवहार को “दुखद” बताया। विधानसभा में अपने भाषण में कल्याण ने राजनीतिक हस्तियों द्वारा दूसरों को प्रभावित करने और डराने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए खतरा है।

साइबर खतरों पर की थी बात

कल्याण का मानना ​​है कि आंध्र प्रदेश को ऐसे साइबर खतरों के खिलाफ अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करके एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए। प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य ऑनलाइन उत्पीड़न को रोकना और व्यक्तियों को डिजिटल दुरुपयोग से बचाना है। कल्याण की कार्रवाई का आह्वान सार्वजनिक चर्चा और व्यक्तिगत सुरक्षा पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग के प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।

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