Big Breaking: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन बरी, 17 साल पुराने केस में आया फैसला

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Anand Mohan: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन को बड़ी राहत दी है। आनंद मोहन को 17 साल पुराने एक मामले में बरी कर दिया गया है। फैसले के वक्त आनंद मोहन राऊज एवेन्यू कोर्ट में मौजूद रहे। सबूतों और गवाहों की कमी के चलते आनंद मोहन बरी हुए हैं।

गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन के खिलाफ मारपीट, उगाही और जान से मारने की धमकी के आरोप लगे थे। ये मामला 2007 में दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके के राजस्थान गेस्ट हाउस में हुई वारदात से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान आनंद मोहन की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत या गवाह इस केस में नहीं है। राजनैतिक द्वेष की भावना से उनको फंसाने के लिए इस केस में उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला दिया।

राजस्थान के शख्स ने कराया था केस

राजस्थान के रहने वाले शख्स राजेंद्र सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि आनंद मोहन ने अन्य लोगों के साथ राजस्थान गेस्ट हाउस में मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। चाणक्यपुरी पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 323, 506, 387, 34 के तहत FIR दर्ज की थी। ट्रायल के दौरान शिकायकर्ता राजेंद्र सिंह की मौत हो गई और उनके पिता शंभू सिंह अदालत में दिए बयान से मुकर गए।

हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए गए थे आनंद

आनंद मोहन को 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। कथित तौर पर आनंद मोहन की तरफ से उकसाई गई भीड़ ने कृष्णैया की हत्या कर दी थी। वो 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। हालांकि पिछले साल बिहार सरकार की तरफ से जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन के बाद आनंद की रिहाई हो गई थी।

जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन के बाद एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया कि 14 साल या 20 साल जेल में रहने वाले 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया है। 25 अप्रैल को बिहार सरकार ने पूर्व लोकसभा सांसद आनंद मोहन सिंह समेत 27 कैदियों की जेल से रिहाई के बारे में अधिसूचना जारी की।