Ghaziabad News: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों सालों पुरानी हिंदू मंदिरों का मिलने की सिलसिला जारी है। इस कड़ी में अब गाजियाबाद में कब्रिस्तान की बाउंड्री के पास सालों पुरानी शिवलिंग मिली है। शिवलिंग मोदीनगर तहसील क्षेत्र में गांव आबिदपुर मानकी में मिला है। हिंदू संगठनों ने शिवलिंग को मजार की दीवारों में कैद करने का आरोप लगाया। सोमवार को यहां साफ-सफाई कर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया।
मोदीनगर के मानकी गांव में शिवलिंग के पास मजार बनाने पर विवाद शुरू हुआ। हिंदू संगठनों ने इसकी आपत्ति जताई और फिर पुलिस से शिकायत की। शिवलिंग को मजार की दीवारों में कैद करने का आरोप लगाया गया है। हिंदू युवा वाहिनी ने शिवलिंग के लिए अलग रास्ता दिलाने की मांग उठाई है। मोदीनगर SDM को हिंदू संगठनों के लोगों ने इस मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है। दावा किया जा रहा है कि 150 वर्ष प्राचीन यह शिवलिंग कब्रिस्तान की बाउंड्री में पीर के निकट है।
शिवलिंग को मजार की दीवारों में कैद करने का आरोप
आरोप हे कि भगवान शिव के शिवलिंग के पास ही दूसरे धर्म के लोगों ने मजार बनाकर शिवलिंग को चारदीवारी के भीतर कैद कर दिया। जैसे ही इस घटना की जानकारी हिंदू संगठनों को मिली, वे मौके पर पहुंचे और शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। शिवलिंग पर सफाई कर जलाभिषेक भी किया और वहां मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-पाठ शुरू कर दिया।
हिंदू संगठन ने की प्रशासन से ये मांग
हिंदू युवा वाहिनी और अन्य संगठनों ने मोदीनगर थाना पुलिस को शिकायत दी है। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया है कि मानकी गांव में 80 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है दूसरे समुदाय के लोगों ने जानबूझकर शिवलिंग के पास मजार बनाकर उसे चारदीवारी में कैद कर दिया। फिलहाल इस मामले में पुलिस को हिंदू वादी संगठन ने मोदीनगर थाने पर तहरीर दी है। वहीं, मंदिर का सही से निर्माण की बात कही है।
यूपी की कई जिलों में मिली सदियों पुरानी मंदिर
बता दें कि बीते कुछ दिनों से यूपी के कई जिलों से सदियों पुरानी हिंदू मंदिर के मिलने की खबर आ रही है। संभल जिले में शिव मंदिर मिलने के बाद से ही नई-नई जगहों पर खुदाई जारी है। अब चंदौसी में बावड़ी की खुदाई के दौरान पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी मिली है। ये जगह संभल की शाही मस्जिद से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है। वाराणसी के साथ-साथ बुलंदशहर के खुर्जा में कई साल पुराना मंदिर मिला है। मंदिर को लेकर बताया जा रहा है यह पिछले 3 दशकों से बंद पड़ा हुआ था। इसे अब फिर से खोलने की मांग उठी है, जिससे लोग यहां पूजा-पाठ कर सकें।
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