उत्तर प्रदेश सरकार ने छठ पर्व के अवसर पर घाटों पर स्वच्छता, सौंदर्यीकरण और प्लास्टिक मुक्त वातावरण को बढ़ावा देने के लिए पूरे राज्य में स्वच्छ घाट प्रतियोगिता शुरू की है। राज्य सरकार द्वारा बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक, यह प्रतियोगिता आज से शुरू होकर आगामी आठ नवंबर तक चलेगी जिसमें विभिन्न संगठनों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस अभियान से जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की गतिविधियां शामिल होंगी।
बयान के अनुसार…
बयान के अनुसार, इस पहल के तहत लोगों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए घाटों पर ‘अर्पण कलश’ रखे गए हैं और प्लास्टिक और थर्मोकोल के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने के लिए घाटों को ‘नो प्लास्टिक जोन’ घोषित किया गया है। घाटों पर अस्थायी शौचालय और स्नानघर बनाए जा रहे हैं, जिनका नियमित रखरखाव किया जाएगा। बयान में कहा गया कि प्रतियोगिता की सफलता को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ सारथी क्लब के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, गैर सरकारी संगठन और अन्य स्वैच्छिक संगठन इन प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं।
बयान के अनुसार, घाटों को सुंदर बनाने के लिए खास पहल की गई है। कूड़े—कचरे के उचित निपटान और क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने के लिए कूड़ेदान रखे गए हैं। घाटों को साफ रखने में सक्रिय नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही हैं।
अभियान को गैर सरकारी संगठनों, सीएसओ और अन्य स्वयंसेवी संगठनों से मजबूत समर्थन मिल रहा है, जो न केवल घाटों पर सफाई अभियान चला रहे हैं, बल्कि लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित भी कर रहे हैं।
छठ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है और इसे चार दिनों तक कठोर दिनचर्या का पालन करके मनाया जाता है। इस त्यौहार के अनुष्ठानों और परंपराओं में उपवास, उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देना, पवित्र स्नान और पानी में खड़े होकर ध्यान करना शामिल है।
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