त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बांग्लादेश में सनातन धर्म के अनुयायियों पर हो रहे हमलों पर शनिवार को गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों से वाकिफ हैं।
‘टिपरा मोथा’ प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने त्रिपुरा की सीमा से सटे बांग्लादेश के चटगांव प्रांत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर हाल ही में गंभीर चिंता व्यक्त की थी। गोमती जिले में सनातन धर्म से जुड़े एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए साहा ने कहा, “हम बांग्लादेश में सनातन धर्म के अनुयायियों पर हमले की घटनाओं से वाकिफ हैं। हमलावरों को इस तरह के हमलों को अंजाम देने से पहले दो बार सोचना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “अतीत में भारत में सनातन धर्म पर हमले हुए थे, लेकिन यह प्राचीन धर्म आज भी अस्तित्व में है।” त्रिपुरा पर 35 साल तक शासन करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की आलोचना करते हुए साहा ने आरोप लगाया कि माकपा ने राज्यभर में नास्तिक माहौल बनाया, क्योंकि उसके नेता गोमती जिले में स्थित शक्ति पीठों में से एक-त्रिपुरेश्वरी मंदिर तक नहीं गए।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि माकपा नेताओं की नास्तिक मानसिकता के कारण ही त्रिपुरा में उनका अस्तित्व मिट गया। साहा ने आरोप लगाया, “उन्होंने (माकपा नेताओं) धर्म के नाम पर राज्य में दंगे कराने की कोशिश की। हमारी सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है, लेकिन अगर कोई विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश करता है, तो हम चुप नहीं रहेंगे।”
उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष की आलोचना की। साहा ने कहा, “कुछ लोग राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर उंगली उठा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इसमें सुधार हुआ है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से देशभर के मंदिरों में और उसके आसपास बुनियादी ढांचे का विकास किया है।