उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को यहां कहा कि वन क्षेत्र में कमी के कारण मानव-पशु संघर्ष होता है। आदित्यनाथ यहां लोकभवन में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे जिस दौरान उन्होंने उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से चयनित 647 वन रक्षकों/वन्यजीव रक्षकों व 41 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए।
उन्होंने कहा कि असमय जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का सामना न केवल वन्यजीवों, बल्कि मानवों को भी करना पड़ेगा और वन के दायरे कम होने के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की नौबत आती है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस सीजन में हर वर्ष देखने को मिलता है कि वन्यजीव हिंसक हो रहे हैं। वन्यजीव व मानव संघर्ष के कारण जनहानि हो रही है। यह जनहानि परिवार व समाज की हानि है। इस कारण कई परिवार अनाथ हो जाते हैं।”
आदित्यनाथ का यह बयान उस दिन आया है जब बहराइच के महसी तहसील में जारी ‘ऑपरेशन भेड़िया’ के तहत पांचवें भेड़िये को पकड़ लिया गया। यह अभियान छह भेड़ियों के झुंड को पकड़ने के लिए चलाया जा रहा है, जिन्होंने जुलाई के मध्य से अब तक आठ लोगों की जान ले ली है और 20 से अधिक लोगों को घायल कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वन्यजीवों के इलाकों में जलभराव व अतिक्रमण होगा तो वे दूसरे क्षेत्रों की तरफ पलायन करेंगे जिससे मानव बस्तियां चपेट में आती हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि इसलिए वन-वन्यजीव रक्षकों को स्वयं प्रशिक्षित होने के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों को गाइड के रूप में प्रशिक्षित करना होगा।
उन्होंने ने कहा, “तराई के जिन जिलों में यह घटनाएं हुई हैं, यह वे क्षेत्र हैं, जहां जंगल और खेत एक-दूसरे से सटे हैं। जंगल के अंदर पानी भरा तो जानवर खेत की तरफ आते हैं। कोई व्यक्ति अचानक खेत में गया तो जंगली जानवर हिंसक हो जाते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक व सोलर फेंसिंग की जानी चाहिए।” मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश पहला राज्य है, जिसने मानव वन्य जीव संघर्ष को आपदा श्रेणी में शामिल करते हुए जनहानि पर पांच लाख रुपये का मुआवज़ा देने की व्यवस्था की है।