कोविड-19 जैसे सांस संबंधी वायरल संक्रमणों के दीर्घकालिक प्रभाव एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार, दुनियाभर में 6.5 करोड़ लोग लंबे समय तक कोविड-19 से संक्रमित रहे।
हालांकि, इस स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई है क्योंकि यह कई अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है, जैसे कि फेफड़े, मस्तिष्क और हृदय। जिन पशुओं में यह बीमारी हो सकती है, उनकी कमी की वजह से भी इस स्थिति को समझने में मुश्किलें आई हैं।
शोधकर्ता मानव रोगों का अध्ययन करने और उपचार रणनीति विकसित करने के लिए चूहे व चुहिया जैसे जीवों का उपयोग करते हैं। यद्यपि मानव व पशुओं के बीच बड़े अंतर होते हैं, फिर भी हमारी अधिकांश प्रतिरक्षा व अंग प्रणालियां समान एक ही तरह से काम करती हैं। शारीरिक क्रिया विज्ञान में ऐसी समानताओं से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल खोजें संभव हुई हैं, जिनमें कोविड-19 से संबंधित खोज भी शामिल हैं।
मैं वर्जीनिया विश्वविद्यालय में सन लैब में एक प्रतिरक्षा विज्ञान शोधकर्ता हूं। हम इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 जैसे श्वसन वायरल संक्रमणों में प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका का अध्ययन करते हैं। हमारे नए प्रकाशित शोध में, हमने लंबे समय तक रहने वाले कोविड-19 का अध्ययन करने के लिए एक नया ‘माउस मॉडल’ विकसित किया और पाया कि कुछ अतिसक्रिय प्रतिरक्षा कोशिकाओं को अवरुद्ध करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बहाल हो सकती है।
नए मॉडल, नए लक्ष्य
हमारी टीम श्वसन प्रणाली पर कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को बेहतर ढंग से समझना चाहती थी। ऐसा करने के लिए, हमने कोविड-19 के बाद फेफड़ों पर पड़ने वाले निशान से जुड़ी प्रमुख विशेषताओं की पहचान करने पर काम किया।
सबसे पहले, हमने लंबे समय तक कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के फेफड़ों के नमूनों की जांच की। हालांकि ये मरीज नमूने लिए जाने से कई महीने या साल पहले संक्रमित हो चुके थे, लेकिन हमें उनके फेफड़ों में अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली के सबूत मिले, खास तौर पर उन हिस्सों में, जो संक्रमण के बाद खुद को पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाए।
इसके बाद, हमने चार अलग-अलग प्रकार के श्वसन वायरल संक्रमणों से संक्रमित चूहों की पैथोलॉजी की तुलना करके लंबे समय तक रहने वाले कोविड-19 के लिए एक ‘माउस मॉडल’ बनाने का लक्ष्य रखा। अलग-अलग श्वसन वायरस से होने वाले संक्रमण फेफड़ों को अलग-अलग तरीके से क्यों प्रभावित करते हैं, इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन प्रारंभिक साक्ष्य बताते हैं कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि प्रत्येक वायरस “मनुष्यों और चूहों में” अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं को निशाना बनाता है।
हम अपने नए माउस मॉडल का उपयोग करते हुए चूहों के फेफड़ों में कोशिकाओं के एक असामान्य समूह की उपस्थिति की पहचान करने में सफल रहे – जो लंबे समय से कोविड-19 रोगियों के फेफड़ों में देखी जाने वाली समान निष्क्रिय प्रतिरक्षा और एपिथीलियल आदि से बनी होती हैं। हमने पाया कि फेफड़ों में इन प्रतिरक्षा कोशिकाओं की अनियंत्रित गतिविधि संरचनात्मक कोशिकाओं को खुद ठीक होने से रोकती है। यह गैस को आरपार करने, ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने की प्रक्रिया को बहाल करने में भी बाधा डालती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हमने इस अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से जुड़े प्रोटीन की गतिविधि को अवरुद्ध किया, तो इससे फेफड़ों के घाव कम हो गए और चूहों में फेफड़ों की इष्टतम कार्यक्षमता बहाल हो गई।
श्वसन वायरल संक्रमण का उपचार
लंबे समय तक होने वाले कोविड-19 से निपटने के ज़्यादातर तरीके संक्रमण के तुरंत बाद उपचार शुरू करने पर निर्भर करते हैं। जहां तक हमारी जानकारी है, हमारा अध्ययन इस पुरानी बीमारी के विकसित होने के बाद लंबे समय तक चलने वाले कोविड-19 के श्वसन लक्षणों के उपचार के लिए रणनीतियों की पहचान करने वाला पहला अध्ययन है।
हमारे अध्ययन में जिन दवाओं का परीक्षण किया गया है, उन्हें गंभीर कोविड-19 और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। हमें उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष लंबे समय तक कोविड-19 के इलाज के लिए इन दवाओं के उपयोग पर आगे के शोध को बढ़ावा दे सकते हैं।
हमारा शोध लंबे समय रहने वाले कोविड-19 से अलग भी काम आ सकता है। इस बात के प्रमाण हैं कि कई श्वसन वायरल संक्रमण, जैसे कि इन्फ्लूएंजा, कोविड-19 और रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस, फेफड़ों से संबंधित दीर्घकालिक बीमारी का कारण बन सकते हैं। पिछले 100 वर्षों में हुई चार महामारियों और उससे भी अधिक श्वसन वायरल महामारियों को ध्यान में रखते हुए, श्वसन वायरल संक्रमणों के बीच कोशिकीय व आणविक समानताओं का अध्ययन यह तय करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है कि चिकित्सक भविष्य में वायरल प्रकोपों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया दें।