Inside Story: काले हिरण को स्‍तनपान… क्यों बचपन से ही सलमान से बदले की कसम ले बैठा लॉरेंस बिश्नोई?

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‘उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय। जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय॥’

Blackbuck Poaching Incident: राजस्थान की स्‍थानीय भाषा में लिखी ये दो लाइनें कोई कविता या कहावत नहीं, बल्‍कि एक प्रण है। वो कसम, वो वायदा, वो संकल्प जिसे वहां के लोग जिंदगी कुर्बान कर के भी निभाते हैं। इन दो लाइनों का हिंदी अर्थ है- ‘जो लोग जंभेश्वर के 29 नियमों का ह्रदय से पालन करते हैं वे लोग ही बिश्नोई हुए हैं।’ इन्‍हीं 29 सिद्धांतों में काले हिरण का भी नीयम है जिसे बिश्नोई समाज जान से भी ज्यादा चाहता हैं और यही काला हिरण (ब्‍लैक बक) सलमान खान के लिए मुसीबत बन गया है। एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या और सलमान खान को लगातार मिलने वाली धमकियों ने एक बार फिर इन काले हिरणों की हत्या से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे विवाद को उजागर कर दिया है।

तब शायद 5 साल का था लॉरेंस बिश्नोई, खाई थी सलमान से बदले की कसम

साल 1998 में सलमान खान पर अन्य लोगों के साथ जोधपुर के पास हम साथ साथ हैं फिल्‍म की शूटिंग के दौरान दो काले हिरणों का शिकार करने का आरोप लगाया था। इसी घटना के बाद से बिश्नोई समाज में गुस्सा फैल गया और सलमान उन लोगों के दुश्‍मन बन गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बिश्नोई समाज के लोग काले हिरणों की पूजा करते हैं।

उस वक्त इस समुदाय के लोगों ने सलमान खान के खिलाफ प्रदर्शन किया था। दूसरी ओर गैंगस्‍टर लॉरेंस बिश्नोई जो उस वक्‍त शायद 5 साल का रहा होगा, ने सलमान से बदला लेने की कसम खाई। हालांकि काला हिरण ही सलमान के प्रति लॉरेंस की दुश्‍मनी की मूल कारण है, ये बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि ब्‍लैक बक और चिंकाराओं से बिश्नोई समाज का गहरा रिश्‍ता है।

550 साल पुराना रिश्ता

बिश्नोई समुदाय के लिए यह 550 साल पुराना रिश्ता है। बिश्नोई समुदाय, जिसकी स्थापना गुरु जम्भेश्वर (जिन्हें जंबाजी के नाम से भी जाना जाता है) ने 15वीं शताब्दी के आसपास की थी, जो 29 सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। उनकी शिक्षाएं वन्यजीवों और वनस्पतियों की सुरक्षा और संरक्षण पर जोर देती हैं। बिश्नोई दर्शन के मूल सिद्धांतों में से एक है काले हिरण की पूजा उनके आध्यात्मिक गुरु जम्भेश्वर के पुनर्जन्म के रूप में करना।

Bishnoi.co.in के मुताबिक “बिश्नोई कोई धर्म नहीं है, बल्कि गुरु जम्भेश्वर के 29 सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीने का एक तरीका है, जिन्होंने 550 साल पहले बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना की थी। सिद्धांतों में से एक पेड़ों और जानवरों की सुरक्षा की वकालत करता है।

काले हिरण के बच्चों को स्‍तनपान कराती हैं बिश्नोई समाज की महिलाएं

बिश्नोई समाज की महिलाएं हिरणों के बच्चों को स्तनपान तक कराती हैं। ब्रिटिशकाल में काले हिरणों का शिकार करने वाले अंग्रेजी अधिकारी का विरोध हरियाणा के शीशवाल गांव के बिश्नोई समाज के एक किसान तरोजी राहड़ ने किया। वह भूख हड़ताल पर बैठे और फिर इस शिकार पर रोक लगाई गई। यहां तक कि समाज के कई लोगों ने अपना बलिदान तक दे डाला।

ये हैं बिश्नोई समाज के 29 नीयम

तीस दिन सूतक रखना।पांच दिन ऋतुवन्ती स्त्री का गृहकार्य से पृथक रहना।प्रतिदिन सवेरे स्नान करना।शील का पालन करना व संतोष रखना।बाह्य और आन्तरिक पवित्रता रखना।द्विकाल संध्या-उपासना करना।संध्या समय आरती और हरिगुण गाना।निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना।पानी, ईंधन और दूध को छान कर प्रयोग में लेना।वाणी विचार कर बोलना।क्षमा-दया धारण करना।चोरी नहीं करनी।निन्दा नहीं करनी।झूठनझू हीं बोलना।वाद-विवाद का त्याग करना।अमावस्या का व्रत रखना।विष्णु का भजन करना।जीव दया पालणी।हरा वृक्ष नहीं काटना।काम, क्रोध आदि अजरों को वश में करना।रसोई अपने हाथ से बनानी।थाट अमर रखना।बैल बधिया नहीं कराना।अमल नहीं खाना।तम्बाकू का सेवन नहीं करना।भांग नहीं पीना।मद्यपान नहीं करना।मांस नहीं खाना।नीला वस्त्र व नील का त्याग करना।

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