Jharkhand: चंपई सोरेन आज बीजेपी ज्वाइन करेंगे, कोल्हान टाइगर के बारे में जानें 10 बड़ी बातें

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Jharkhand News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के पूर्व नेता चंपई सोरेन अब भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा हो जाएंगे। आज रांची में चंपई सोरेन बीजेपी के साथ अपने नए सफर की शुरुआत करेंगे। जुलाई में चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली गई थी। चंपई 2 फरवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे, जब हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दिया था। हालांकि जमानत पर बाहर आते ही हेमंत ने चंपई से राज्य की बागडोर छीन ली। इसका नतीजा है कि चंपई सोरेन JMM से नाता तोड़ चुके हैं और अब बीजेपी में शामिल होंगे।

रांची में धुर्वा स्थित शहीद मैदान में बीजेपी ने कार्यक्रम रखा है। झारखंड बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्व सरमा कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। दोपहर करीब 3 बजे चंपई सोरेन की भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलवाई जाएगी। इसके पहले चंपई सोरेन के बारे में 10 बड़ी बातें जान लेते हैं…

चंपई सोरेन के बारे में 10 बड़ी बातें

चंपई सोरेन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो खेती-किसानी में गहराई से जुड़ा हुआ था। उन्होंने एक सरकारी स्कूल में 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की।सोरेन की राजनीतिक यात्रा 1990 के दशक में शुरू हुई, जो बिहार से अलग एक अलग राज्य की मांग करने वाले झारखंड आंदोलन के साथ मेल खाती है।राजनीति में प्रवेश करने से पहले चंपई सोरेन झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के एक सुदूर गांव में अपने पिता के साथ कृषि गतिविधियों में लगे हुए थे। चंपई सोरेन की शादी कम उम्र में ही हो गई थी और उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।झारखंड आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी और मजबूत वकालत ने उन्हें 1990 के दशक में एक अलग राज्य के निर्माण की लंबी लड़ाई में उनके योगदान के लिए “झारखंड टाइगर” का उपनाम दिया। झारखंड का निर्माण 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से हुआ था।झारखंड आंदोलन के दौरान शिबू सोरेन का समर्थन करने में चंपई सोरेन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।चंपई सोरेन ने सरायकेला सीट पर उपचुनाव के जरिए निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बाद में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में शामिल हो गए।झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले चंपई हेमंत सोरेन के इस्तीफे और बाद मेंउन्होंने 1991 में अविभाजित बिहार में सरायकेला सीट से उपचुनाव के माध्यम से एक स्वतंत्र विधायक के रूप में निर्वाचित होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 2000 के विधानसभा चुनाव में, जो राज्य में आयोजित पहला चुनाव था, उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के अनंत राम टुडू ने हराया था। चंपई सोरेन ने 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीते। वो अब तक 7 बार विधायक रहे हैं।सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में वो कैबिनेट मंत्री रहे।जब 2019 में हेमंत सोरेन ने राज्य में अपनी दूसरी सरकार बनाई, तो चंपई सोरेन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने। 31 जनवरी 2024 की रात को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई जेएमएम विधायक दल के नेता और झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री बने। शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत के बाद जेएमएम से इस पद पर पहुंचने वाले वो तीसरे व्यक्ति हैं।

चंपई सोरेन के आने से BJP को कितना फायदा?

चंपई सोरेन झारखंड में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले बीजेपी में आ रहे हैं, जिसका सीधा फायदा पार्टी को होगा। चंपई सोरेन झारखंड के कोल्हान इलाके में एक बड़े नेता हैं और उन्हें ‘कोल्हान टाइगर’ भी कहा जाता है। चंपई के साथ आने से बीजेपी को कोल्हान क्षेत्र में बढ़त मिलना तय है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास कोल्हान इलाके में चंपई सोरेन के मुकाबले कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जिसका बराबरी कर सके। ऐसे में चंपई सोरेन के आने से भारतीय जनता पार्टी की 14 विधानसभा सीटों पर मजबूती मिल जाएगी। इस डिवीजन में तीन जिले- पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां आते हैं, जबकि विधानसभा की 14 सीटें हैं।