J&K में अब्दुल्ला सरकार बनते ही बृजभूषण सिंह की दो टूक- 370 पत्थर की लकीर है, उसे कोई मिटा नहीं सकता

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Brij Bhushan Sharan: जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उमर अब्दुल्ला के रूप में पहला मुख्यमंत्री मिल गया है। अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के सत्ता संभालते ही अनुच्छेद 370 को लेकर देश में फिर चर्चा शुरू हो गई है। धारा 370 पर भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में कभी धारा 370 बहाल नहीं हो पाएगी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा अगर कोई मुद्दा नेताओं की जुबान पर था वो अनुच्छेद 370 था। बीजेपी ने धारा 370 को खत्म करने के आधार पर वोट मांगे, तो दूसरी तरफ नेशनल कांन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने धारा 370 की बहाली के नाम पर वोट मांगे थे। सवाल यही है कि जिस धारा 370 की बहाली को लेकर नेशनल कांन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर की आवाम से जो वादा किया था क्या वो उसे पूरा कर पाएंगे? इसका बृजभूषण शरण ने दो टूक जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ‘370 पत्थर की लकीर है, उसे कोई मिटा नहीं सकता। जो कहता है कि 370 को बहाल करेंगे, वो कश्मीर की जनता के साथ धोखा कर रहा है।’

370 की बहाली पर उमर अब्दुल्ला का बयान

नेशनल कांन्फ्रेंस के नेता और सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम 370 पर खामोश नहीं रहेंगे, लेकिन मौजूदा सरकार से इसकी बहाली की उम्मीद करना मूर्खता होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारा राजनीतिक रुख नहीं बदलेगा, हमने कभी नहीं कहा कि हम चुप रहेंगे या अब ये हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन हम लोगों को बेवकूफ बनाने को तैयार नहीं हैं, मैंने हमेशा कहा है कि धारा 370 हटाने वाले लोगों से इसे वापस पाने की उम्मीद करना मूर्खता से कम नहीं है।’

370 नहीं स्टेटहुड प्राथमिकता- फारूख अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद नेशनल कांन्फ्रेंस के चीफ फारूख अब्दुल्ला ने धारा 370 की बहाली के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि धारा 370 की बहाली में अभी समय लगेगा। लेकिन हमारा पहला काम राज्य का दर्जा बहाल करना होगा। स्टेटहुड हमारी प्राथमिकता है ताकि हम काम कर सकें।

उमर अब्दुल्ला जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में सरकार को चलाने के लिए उन्हें हर कदम पर केंद्र के सहारे की जरूरत पड़ेगी ऐसे में उमर धारा 370 की बहाली पर कोई बड़ी बात करने से भी बच रहे हैं, क्योंकि केंद्र से तनातनी की स्थिति में सरकार चलाने में अड़चने पैदा होंगी और विकास का काम प्रभावित होगा। जिसे उमर अब्दुल्ला बिल्कुल भी नहीं चाहेंगे। 

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