J&K: विधानसभा में भारी हंगामा… सामने बैठे थे CM उमर अब्दुल्ला, बेल के अंदर पहुंचे MLA; समझिए माजरा

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Jammu Kashmir News: आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद पहली बार केंद्रशासित राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर विधानसभा की शुरुआत हुई है। हालांकि पहले ही दिन नवनिर्वाचित जम्मू कश्मीर विधानसभा में भयंकर हंगामा हो गया। स्थिति ऐसी बन गई कि सुरक्षाकर्मियों को मोर्चा संभालना पड़ा। स्पीकर अपनी कुर्सी से सभी को शांत कर रहे थे, लेकिन कुछ विधायक बेल के अंदर तक जा पहुंचे थे। उसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने हालात को संभालने की कोशिश की। ऐसे जैसे स्थिति ठीक हुई तो सभी सदस्यों की बात पूरी हुए बगैर की कार्यवाही को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया।

6 साल में पहली बार बुलाई गई जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता अब्दुल रहीम राथर स्पीकर के रूप में चुने गए। उन्हें सदन में बधाई देने का सिलसिला मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुरू किया। नेता प्रतिपक्ष की तरफ से भी स्पीकर को बधाई दी गई। ऐसे ही कई सदस्य बारी-बारी से आगे आते रहे। इसी बीच विधानसभा के अंदर हंगामे की शुरुआत हुई।

पीडीपी विधायक के प्रस्ताव पर खड़ा हुआ हंगामा

विधानसभा में उस समय हंगामा मच गया, जब पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के नेता वहीद पारा ने अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने को लेकर प्रस्ताव पेश किया। भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने पीडीपी विधायक वहीद पारा की टिप्पणी को हटाने और प्रस्ताव को अस्वीकृत करने की मांग की। इसके बाद सदन के भीतर जबरदस्त शोर-शराबा होने लगा। विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। सदन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मौजूद थे। पीपीडी के विधायक बेल के अंदर पहुंच गए और उमर अब्दुल्ला के लगभग करीब पहुंचकर हंगामा खड़ा कर दिया, जिन्हें बाद में सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया।

शुरुआत में बीजेपी और पीडीपी के विधायकों में नोंकझोंक हुई। उसके बाद एनसी के विधायक भी हंगामे में कूद पड़े। अपनी कुर्सी से खड़े होकर स्पीकर ने सदन को शांत कराया। फिर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी बात रखी और कहा कि ‘हमें पता था कि इसके लिए एक सदस्य (वहीद पारा) की तरफ से तैयारी की जा रही थी। वास्तविकता ये है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 को लिए गए निर्णय को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर उन्होंने इसे स्वीकार किया होता, तो आज के परिणाम अलग होते। सदन इस पर कैसे विचार करेगा और चर्चा करेगा, ये कोई एक सदस्य तय नहीं करेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, बल्कि ये केवल कैमरों के लिए है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो वो पहले हमारे साथ इस पर चर्चा करते।’

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिया भाषण

उमर अब्दुल्ला के अनुरोध पर स्पीकर ने उसी समय सदन की कार्यवाही को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया। बाद में विधानसभा के भीतर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपना भाषण दिया। बताते हैं चलें कि अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के वादों पर ही उमर अब्दुल्ला की पार्टी एनसी ने जम्मू कश्मीर में चुनाव लड़ा था। हाल के विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और केंद्र शासित प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें जीतीं।

10 साल बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव हुए

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 90 में से 49 सीटें जीती थीं। चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटें जीती थीं। विधानसभा चुनाव 10 साल के अंतराल और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुए थे। एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने 16 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हाल ही में जम्मू-कश्मीर चुनावों में सत्ता में आई उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली एनसी सरकार नवंबर 2018 में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरकार के भंग होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली निर्वाचित सरकार है।

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