J&K से 370 हटाने की बात करने वाले उमर ने CM बनते ही नरम रुख क्यों अपना लिया? शगुन परिहार ने खोली पोल

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BJP MLA Shagun Parihar: जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी की एकमात्र महिला विधायक शगुन परिहार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला पर जोरदार प्रहार किया है। आर्टिकल 370 के मसले पर शगुन परिहार ने दो टूक शब्दों में कहा कि इसको वापस लाना संभव नहीं है और चुनावों में इस तरह के मुद्दे को रखकर उमर अब्दुल्ला ने जनता को बेवकूफ बनाया। बीजेपी की विधायक शगुन परिवार आर्टिकल 370 पर बदले उमर अब्दुल्ला के रुख को लेकर जवाब दे रही थीं।

रिपब्लिक भारत के राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन में सवाल का जवाब देते हुए किश्तवाड़ से बीजेपी विधायक शगुन परिहार ने आर्टिकल 370 पर कहा कि जब से 370 हटी है, जो पार्टियां पहले ये कहती थीं कि कोई झंडा उठाने वाला नहीं होगा, जबकि इसकी जीती-जागती मिसाल श्रीनगर का लाल चौक है। वहां तिरंगा ध्वज लहरा रहा है, जो इस बात का प्रतीक है कि हमारी राष्ट्रभक्ति किस हद तक पनप रही है।

किश्तवाड़ में बढ़ी राष्ट्रीयता की भावना- शगुन परिहार

उन्होंने कहा कि किश्तवाड़ में भी हमारा तिरंगा लहरा रहा है, जो इस बात का प्रतीक है कि वहां पर भी राष्ट्रीयता की भावना किस हद कर बढ़ी है। शगुन परिहार ने कहा कि किश्तवाड़ में पहले दंगे होते थे। चुनाव होते थे तो किसी ना किसी को मार दिया जाता था, शहीद कर दिया जाता है। वहां पॉलिटिक्स शहीदों के नाम पर चल रही थी। इस बार का चुनाव इस बात का प्रतीक है कि वहां शांति का माहौल है। पूरी दुनिया देश रही थी कि शांतिपूर्ण चुनाव हुआ। भारी मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि शायद ये 370 हटने के बाद ही संभव था, जिसे बीजेपी ने हटाया। धारा 370 जम्मू कश्मीर के लिए कलंक थी।

उमर अब्दुल्ला को लेकर शगुन परिहार ने अपने बयान में कहा कि जम्मू कश्मीर से 370 को संसद के जरिए खत्म किया गया है। विधानसभा चुनावों में 370 के नाम उमर अब्दुल्ला ने वोट मांगे। उन्होंने इसके जरिए जम्मू कश्मीर की भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाया। वो अच्छी तरह से जानते हैं कि 370 को वापस लेना संभव नहीं है। बताते चलें कि उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आर्टिकल 370 की बहाली के मुद्दे पर जम्मू कश्मीर में चुनाव लड़ा। अभी नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनी है, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले उमर अब्दुल्ला का केंद्र सरकार के प्रति इस मुद्दे पर रुख नरम पड़ चुका है। उन्होंने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डालने की कोशिश की है।

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