Mahakumbh 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय प्रचारक अनिल ने सोमवार को कहा कि भारतीय समाज में समरसता हमेशा से विद्यमान रही है और अगर किसी को भारत का सच्चा दर्शन करना हो, तो उसे महाकुंभ में जरूर आना चाहिए।
प्रयागराज में एएमए के सभागार में “सामाजिक समरसता: भारतीय परिप्रेक्ष्य” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अनिल ने कहा, “समरसता केवल भाषण का विषय नहीं है, बल्कि इसे जीवन में उतारने की आवश्यकता है। भारत को एकता के सूत्र में बांधे रखने के लिए हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं को पुनः आत्मसात करना होगा।”
उन्होंने कहा, “आज कुछ राजनीतिक दल जातीय विद्वेष फैलाकर लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। विदेशी शक्तियां भी भारतीय समाज को तोड़ने के लिए ऐसी संस्थाओं को पोषित कर रही हैं और सोशल मीडिया के युग में इन विघटनकारी ताकतों को बढ़ावा मिल रहा है।”
शंख संस्था द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता अभिनव चक ने कहा कि भारतीय परंपरा में समरस समाज की संकल्पना अनादिकाल से विद्यमान रही है, जिसे आज पुनः आत्मसात करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य स्थाई अधिवक्ता विजय शंकर मिश्र ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों की प्रवृत्ति समाज को बांटने की है और वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं।
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