Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 11 फीट के लम्बे नर्मदेश्वर शिवलिंग श्री अच्युतेश्वर महादेव के रूप में विराजेंगे। भक्त जहां दर्शन करेंगे, वहीं 21 फीट ऊंचे मचान से अमृत कलश के जरिए रूद्राभिषेक कर अपनी मन्नतों को पूरा करेंगे। हरिद्वार के स्वामी भूमानन्द निकेतन की ओर से महाकुंभ में शिवलिंग को स्थापित किया जा रहा है।
यह कुम्भ क्षेत्र में श्री अच्युतेश्वर महादेव के नाम से विराजेंगे। इनकी कुल ऊंचाई जमीन से 21 फीट है। महादेव के रूद्राभिषेक के लिए 21 फीट ऊंचा मचान तैयार किया जा रहा है। जिस पर शिवभक्त बैठकर रूद्राभिषेक करेंगे और शिवजी से अपने मनवांछित फल की कामना करेंगे।
6 टन वजनी शिवलिंग
इस शिवलिंग को मध्यप्रदेश से मंगाया गया है। इसकी वजन छह टन है यानी 600 किलो है। कैम्प के मुख्य गेट पर सप्त ऋषि भी विराजेंगे। गेट के बीचो-बीच मां गंगा कलश के ऊपर विराजेंगी।
ये हैं सप्त ऋषि
कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है। हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि होते हैं। ये सप्तर्षि मौजूदा काल के हैं।
क्यों प्रसिद्ध है नर्मदेश्वर शिवलिंग?
बता दें कि नर्मदेश्वर शिवलिंग को भगवान शिव का एक रूप माना जाता है। यह शिवलिंग, मध्य प्रदेश में बहने वाली नर्मदा नदी में पाया जाता है। नर्मदा नदी से जुड़े होने के कारण ही इसे असली नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। इस शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा जाता है। भगवान शिव के वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है। नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है।
श्री अच्युतेश्वर महादेव जी का रूद्राभिषेक 13 जनवरी से प्रारम्भ होगा, जो कुंभ मेले तक प्रतिदिन निरन्तर चलेगा। इसके अलावा श्री स्वामी भूमानन्द हॉस्पिटल की ओर से नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जायेगा।
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