Sarai Kale Khan: कैसे पड़ा नाम, मुगल से कनेक्शन, जानें बिरसा मुंडा चौक बने सराय काले खां का इतिहास

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Sarai Kale Khan History: दिल्ली के फेमस सराय काले खां इलाके के बारे में आपने जरूर सुना होगा। हो सकता है आप कभी न कभी यहां जाम में भी फंसे हों। सराय काले खां आज चर्चा में इसलिए बना हुआ है क्योंकि इस जगह का नाम बदल दिया गया है। जी हां सराय काले खां चौक का नाम अब ‘बिरसा मुंडा चौक’ कर दिया गया है। यह घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की है। यह फैसला महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में लिया गया है। तो आइए जानते हैं सराय काले खां के बारे में कुछ खास बातें कि कैसे इसका नाम सराय काले खां पड़ा और क्यों यह दिल्ली की फेमस जगहों में से एक हैं।

‘सराय काले खां’ नाम मुगलकाल के दौरान रखा  

सराय काले खां का नामकरण मुगलकाल के दौरान हुआ था। यहां के लोग बताते हैं कि उस वक्त यहां दूर से आने वाले यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था होती थी, ‘सराय’ शब्द का अर्थ होता है ‘धर्मशाला’ या ‘रेस्ट हाउस’, जहां यात्री विश्राम कर सकते थे। यह स्थान व्यापारियों और यात्रियों के ठहरने के लिए बनाया गया था, जो दिल्ली आते-जाते समय यहां विश्राम करते थे।

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कौन थे काले खां?

काले खां एक सूफी संत थे। इन्हीं के नाम पर दिल्ली के इस इलाके का नाम सराय काले खां रखा गया। यह दक्षिण पूर्वी दिल्ली जिले के अंतर्गत आता है। सराय काले खां के आस-पास निजामुद्दीन, जंगपुरा, खिजराबाद, जंगपुरा एक्सटेंशन और लाजपत नगर पड़ता हैं।

 

दिल्ली की फेमस जगह में से एक 

यह इलाका दिल्ली की फेमस जगह में से एक है। सराय काले खां चौक मथुरा रोड और रिंग रोड के जंक्शन पर पड़ता है, जो इसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और (NCR) के कई हिस्सों से जोड़ता है। यहां एक बड़ा अंतरराज्यीय बस अड्डा (ISBT) भी है, जिससे दिल्ली और आस-पास के शहरों के लिए बस सेवाएं हमेशा  उपलब्ध रहती है। इसलिए दिल्ली से दूसरी शहर में जाने वाले यात्रियों के लिए यह एक खास केंद्र है।

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रेलवे और मेट्रो कनेक्शन 

सराय काले खां में एक रेलवे स्टेशन भी है, जो कई खास ट्रेनों का स्टॉप है। इसके अलावा, दिल्ली मेट्रो की पिंक लाइन और रैपिड मेट्रो की आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) लाइन का एक खास स्टेशन भी यहां स्थित है। इन सुविधाओं के कारण यह इलाका दिल्ली के अलग अलग हिस्सों से सुगमता से जुड़ा हुआ है।

आस-पास हैं कई पर्यटन स्थल 

सराय काले खां चौक के पास कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर हुमायूं का मकबरा, निजामुद्दीन दरगाह और नेहरू स्टेडियम जैसे पर्यटन स्थल हैं। इसके अलावा, यमुना नदी का किनारा भी यहां से नजदीक है, जहां समय-समय पर धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।  

बिरसा मुंडा को सम्मान 

इस चौक का नाम बदलकर ‘बिरसा मुंडा चौक’ करने का उद्देश्य महान आदिवासी नेता को सम्मान देना है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया था। उनकी वीरता और बलिदान को याद करने के लिए यह कदम उठाया गया है। यह निर्णय दिल्ली की सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहर को आदिवासी गौरव के साथ जोड़ने की कोशिश है।

बिरसा मुंडा के संघर्ष को रखा जाएगा याद  

सराय काले खां का नाम बदलकर ‘बिरसा मुंडा चौक’ करने का निर्णय सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भारतीय आदिवासी समुदाय के योगदान को मान्यता देने का प्रतीक भी है। यह कदम दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान को और समृद्ध करेगा और आने वाली पीढ़ियों को बिरसा मुंडा की वीरता और संघर्ष की याद दिलाएगा। 

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