
Jaunpur Atala Masjid-Mandir Controversy: संभल के बाद अब जौनपुर के भी मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद उठने लगा है। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया। इस बीच अटाला मस्जिद विवाद को लेकर राजनीति भी होने लगी।
विवाद पर दोनों पक्षों की राय आ रही है। कोई मंदिर-मस्जिद के विवाद पर समर्थन दे रहा है, तो कुछ आवाजें इसके विरोध में भी उठ रही हैं। इस बीच विवाद पर प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला का भी बड़ा बयान आया है। उन्होंने दावा किया है कि जिस जगह मस्जिद स्थित है वहां 13वीं सदी में अटला देवी का मंदिर था।
‘सर्वे से साफ होगा मंदिर है या मस्जिद’
प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला ने मस्जिद में सर्वे का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सर्वे से साफ होगा कि यह अटला देवी मंदिर है या अटाला मस्जिद।
प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला ने इस दौरान दावा किया कि शर्की काल में अटाला मस्जिद जो निर्माण बताया जाता है, उसको लेकर विवाद की स्थिति बनी है। तथ्य यही है कि उसके पहले 13 सदी में यह अटला देवी का मंदिर था। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष जिस हिसाब से न्यायालय गए हैं, उसमें वह कहीं से भी गलत नहीं है।
‘कोर्ट का फैसला मान्य होगा’
उन्होंने कहा कि हर शख्स के अधिकार हैं और अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए। संवैधानिक संस्थाओं के विश्वास करना चाहिए। कोर्ट इसमें जो भी निर्णय देगा, वह सभी को मान्य होगा। प्रोफेसर ने कहा कि सर्वे का विरोध नहीं होना चाहिए। दोनों धर्म को विश्वास के साथ भाईचारा बनाए रखना चाहिए। प्रोफेसर ने इस दौरान यह भी कहा कि धर्म और राजनीति में धर्म सर्वोपरि है। धर्म आधारित राजनीति होना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई
बता दें कि जौनपुर के अटाला मस्जिद को लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि मस्जिद की जगह पर पहले यहां अटला देवी का मंदिर था, जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने कराया था। वहां पूजा का अधिकार देने की मांग भी की गई है। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में 9 दिसंबर को सुनवाई होनी है।
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