उत्तर प्रदेश में भेड़िए के बाद अब आदमखोर बाघ ने आतंक मचाया है। लखीमपुर खीरी में नरभक्षी बाघ ने जंगल से सटे मोहम्मदी-महेशपुर रेंज में मंगलवार (1 अक्टूबर) को बाघ ने एक युवक की जान ले ली है। लखीमपुर खीरी जिले में मोहम्मदी रेंज में नरभक्षी बाघ बेकाबू हो चुका है वो आए दिन गांव के मवेशियों को उठाकर ले जाने लगा है लेकिन मंगलवार को हद हो गई जब उसने मोहम्मदी के गांव शाहपुर राजा के रहने वाले एक किसान को चीरकर खा गया। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया है। किसान की बॉडी का आधा हिस्सा बाघ खा चुका था जबकि बचे हिस्से को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। वहीं बाघ को काबू करने के लिए दुधवा टाइगर रजर्व से एक्सपर्ट हथिनियां मंगवाई गई हैं।
लखीमपुर खीरी जिले में बाघ के आतंक से लोग डरे हुए हैं सरकार ने इस भय को दूर करने के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व से एक्सपर्ट हथिनियां मंगवाई है। इन हथिनियों को घरथनिया गांव में लाया गया है। इन हथिनियों के नाम सिलोचना और डायना हैं। इन पर सवार होकर निशानेबाज डॉक्टरों की टीम पूरे इलाके की निगरानी करेगी और बाघ को देखते ही ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश करेगी। जिले के घरथनिया गांव में बाघ और तेंदुए का आतंक है। ये खूंखार जानवर आए दिन किसी न किसी पर हमला बोलकर उसे अपना शिकार बना रहे हैं इसमें गांव के मवेशियों के अलावा इंसान भी शामिल हैं।
‘डायना’ और ‘सिलोचना’ करेंगी बाघों को काबू?
उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी जिले में बाघों और तेंदुओं को काबू करने के लिए नया प्लान बताया है। वन विभाग की टीम ने बाघों को ट्रैंकुलाइज करने के लिए दो हथिनियां मंगवाई है। इनके नाम हैं ‘डायना’ और ‘सिलोचना’। बाघों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू करने से पहले ‘डायना’ और ‘सिलोचना’ को पास के घरथनियां नाम के गांव में लाया गया है। यहां पर जानवरों को ट्रैंकुलाइज करने वाले एक्सपर्ट्स को भी लाया गया है। ये लोग ‘डायना’ और ‘सिलोचना’ नाम की हथिनियों पर बैठ कर उन इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाएंगे जहां पर बाघों का आतंक फैला हुआ है।
कंटीली झाड़ियों और गन्ने के खेतों को आदमखोर ने बनाया ठिकाना
इन खूंखार जंगली जानवरों (बाघों, भेड़िए और तेंदुओं) के लिए गांव की कटीली झाड़ियां और गन्ने का खेत इनका सुरक्षित स्थान बन चुका है। दुघवा टाइगर रिजर्व की कोई मजबूत बाउंड्री या फेंसिंग नहीं है जिसकी वजह से ये खूंखार जानवर मानव बस्तियों में आकर मवेशियों और इंसानों का शिकार कर रहे हैं। इन जगंली जानवरों को पकड़ने के लिए मजबूत पिंजरा बनाया गया है। जिले में बाघ के हमलों से इतनी दहशत हो गई है कि लोग शाम होते ही अपने मवेशियों सहित खुद भी घरों में बंद हो जाते हैं।
सोमवार की रात बछड़े को उठा ले गया आदमखोर
इसके पहले सोमवार की देर रात को कोतवाली धौरहरा क्षेत्र के वनरेंज के अंतर्गत आने वाले इमिलिया गांव में भी तेंदुए का हमला हुआ था जिसमें वो एक बछड़े को उठा ले गया था। इस दौरान ग्रामीण बछड़े को बचाने के लिए रात को ही लाठी डंडों के साथ टॉर्च की रोशनी के सहारे तेंदुए की तलाश में निकल पड़े थे। तेंदुआ तो मिला नहीं लेकिन इलाके में उसकी दहशत जरूर बढ़ गई। जब इस बारे में फारेस्ट रेंजर नृपेंद्र चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने इलाके में तेंदुए की उपस्थिति की पुष्टि की है। इमिलिया गांव में इसके पहले बाघ एक ग्रामीण को मौत के घाट उतार चुका है।