
Bhulai Bhai dies: भारतीय जनता पार्टी ने अपना सबसे पुराना कार्यकर्ता खो दिया। जनसंघ के जमाने से भाजपाई श्रीनारायण उर्फ भुलई भाई का गुरुवार की शाम कुशीनगर जनपद में उनके पैतृक आवास पर निधन हो गया। वो 111 साल की उम्र पूरी कर चुके थे और कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
कोरोना काल के दौरान भुलई भाई का नाम खासा चर्चा में आया था जब पीएम मोदी ने खुद फोन कर उनका हालचाल जाना था। बताया जा रहा है कि दिवाली के दिन शाम 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। कुशीनगर जिले के कप्तानगंज में उनके पैतृक निवास पर उनका निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद से वो अपने इसी घर पर ऑक्सीजन के सहारे थे।
साल 1974 में बने थे विधायक, रह चुके थे शिक्षा अधिकारी
भुलई भाई साल 1974 भारतीय जनसंघ से नौरंगिया क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं। भाजपा बनने के बाद उन्होंने कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में एंट्री ली थी। दीन दयाल उपाध्याय से प्रभावित होकर राजनीति में प्रवेश करने वाले भुलई भाई शिक्षा अधिकारी भी रह चुके थे। साल 1974 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। भारतीय जनसंघ ने तब उन्हें तत्कालीन देवरिया जिले के नौरंगिया से टिकट दिया था। वह चुनाव जीत भी गए थे। साल 1977 में वह दोबारा भी विधायक बने थे।
सीएम योगी ने शपथ ग्रहण में खार मेहमान बनाया था
2022 में जब यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्य नाथ ने शपथ ली थी, तब उनको शपथ ग्रहण समारोह में खास मेहमान के तौर पर बुलाया गया था। वे योगी के खास आग्रह पर शपथ ग्रहण में शामिल भी हुए थे। वहीं, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। उन्होंने भुलई को मंच से नीचे उतरकर सम्मानित किया था।
भगवा गमछा भुलई भाई की पहचान थी
जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई तो श्री नारायण उर्फ भुलई भाई एमए के छात्र थे। उस वक्त दीनदयाल उपाध्याय से प्रभावित होकर उन्होंने जब सिद्धांतों के रास्ते पर चलना शुरू किया, तो इन सिद्धांतों का दामन हमेशा थामे रखा। एमए के बाद एमएड किया और इसके बाद भुलई भाई शिक्षा अधिकारी बन गए, लेकिन 1974 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सियासत में आकर देश और समाज के लिए कुछ करने की ठानी। इसी साल उनको भारतीय जनसंघ ने अपना उम्मीदवार बनाया और भुलई भाई विधायक बन गए। भुलई भाई ने नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज की थी। 1977 में जनसंघ के साथ मिलकर बनी जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर फिर विधायक चुने गए। भुलई भाई की पहचान उनका केसरिया गमछा रहा।
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