UP Bahraich News: 27 सितम्बर (भाषा) उत्तर प्रदेश के बहराइच की एक अदालत ने तीन साल पहले एक महिला और उसके तीन बच्चों की हत्या करने के मामले में दो दोषियों -ननकू एवं सलमान- को मौत होने तक फांसी पर लटकाने की सजा सुनायी है।
महिला महाराष्ट्र की रहने वाली थी, जिसे ननकू ने प्रेम जाल में फंसा कर बहराइच बुलाया, और अपने दो अन्य साथियों के साथ मिल कर उसकी और उसके तीन बच्चों की हत्या कर दी थी । मामले का तीसरा आरोपी घटना के समय नाबालिग था इसलिए उसका मामला किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।
बहराइच के अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन कुमार शर्मा ने शुक्रवार को मामले में दंडादेश सुनाते हुए दोषी ननकू एवं वारदा में उसके साथी सलमान को मौत की सजा सुनाई है। अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘ननकू एवं सलमान को तब तक फांसी पर लटका कर रखा जाए, जब तक उनकी मौत ना हो जाए। आदेश को उच्च न्यायालय भेजा जाएगा, जहां से पुष्टि के बाद सजा का क्रियान्वयन हो सकेगा।”
मुकदमे की पैरवी करने वाले तत्कालीन जिला शासकीय अधिवक्ता मुन्नू लाल मिश्र ने अदालती आदेश की प्रति मुहैया कराते हुए बताया कि यह घटना तीन साल पहले की है। उन्होंने बताया कि बहराइच के फखरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत तेलियनपुरवा निवासी ननकू महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक रेस्त्रां में काम करता था, जहां पीड़िता -मैरी काशी कत्रायन- भी काम करती थी ।
पति से अलग रह ही तीन बच्चों की मां मैरी को ननकू ने पहले अपने प्रेम जाल में फंसाया और शादी का लालच देकर, ठाणे स्थित उसका घर बिकवा दिया तथा चार लाख रुपए खुद रख लिए। मिश्र ने बताया कि मैरी लगातार ननकू पर शादी का दबाव बना रही थी और बहराइच में उसके घर जाने की बात करती थी। उन्होंने बताया कि ननकू मैरी और उसके तीनों बच्चों को लेकर यहां आ गया।
अधिवक्ता ने बताया दोषी ने बहराइच पहुंचने के बाद सलमान और एक नाबालिग साथी के साथ मिल कर मैरी और उसके तीनों बच्चों राजाती (11), जोसेफ (07) व सौंदर्या (04) की गला रेतकर हत्या कर दी और चारों के शव अलग अलग स्थानों पर इस तरह ठिकाने लगाए कि शवों की पहचान ना हो सके। घटना को अंजाम देने के बाद तीनों अलग-अलग समय पर लखनऊ होते हुए वापस महाराष्ट्र पहुंच गये। अभियोजन की तरफ से पैरवी तत्कालीन जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) मुन्नू लाल मिश्र ने की थी।
मिश्र ने आज बताया, “मेरे सेवानिवृत्त होने के बाद वर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) गिरीश चंद्र शुक्ल एवं अपर शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) प्रमोद सिंह ने मामले की पैरवी अदालत में की। उन्होंने बताया कि अपराध में शामिल तीसरा अभियुक्त घटना के समय नाबालिग था, इसलिए उसका इसलिए उसका मामला किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।”
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